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भैया बीजेपी के खिलाफ फैसला देना अपराध है ,जिसका इनाम ट्रांसफर होता है !

 दिल्ली :कल दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस एस मुरलीधर ने दिल्ली पुलिस को बुधवार को हुई हिंसा के मामले में बीजेपी नेताओं के भड़काऊ बयानबाजी पर कार्रवाई नहीं करने पर फटकार लगाई थी और आज उनका तबादला हो गया है। जिसके बाद केंद्र की बीजेपी सरकार विपक्ष के निशाने में आ गई है।  जारी हुई नोटिफिकेशन के मुताबिक उनका दिल्ली से बाहर हरियाणा हाईकोर्ट में तबादला कर दिया गया है। हालांकि 2 हफ्ते पहले ही 12 फरवरी को उनके तबादले की सिफारिश कर दी थी। लेकिन सरकार ने कल उनके तबादले पर अपनी मुहर लगाई और इस टाइमिंग पर सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि क्या न्याय करने वालों को भी बख्शा नहीं जाएगा ? उन्होंने आगे कहा कि 26 फरवरी 2020 को दिल्ली हाईकोर्ट के जजों की बेंच ने दंगा भड़काने बीजेपी नेताओं की भूमिका को पहचान कर उनके खिलाफ सख्त आदेश पारित किए एवं पुलिस को कानून के अंतर्गत कार्रवाई करने का आदेश दिया था।
सरकार पर निशाना साधते हुए रणदीप सुरजेवाला ने देश के गृह मंत्री अमित शाह से 3 सवाल भी पूछे  हैं

  1. क्या आपको यह डर था कि यदि आप की पार्टी के नेताओं की स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच की जाएगी तो दिल्ली के हिंसा ,आतंक व अफरा – तफरी में खुद की मिलीभगत का पर्दाफाश हो जाएगा।
  2.  निष्पक्ष व प्रभावशाली न्याय सुनिश्चित किए जाने से रोकने के लिए आप कितने जजों का ट्रांसफर करेंगे ?
  3.  क्या आपके पास अपनी ही पार्टी के नेताओं द्वारा दिए गए विषैले बयानों को उचित ठहराने का कोई रास्ता नहीं था, इसलिए आपने उस जज का ही ट्रांसफर कर दिया, जिसने पुलिस को आपकी पार्टी के नेताओं की जांच करने का आदेश दिया था?
  • कानून मंत्री की सफाई

इस मामले पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सफाई दी है सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में 12 फरवरी को ही उनके तबादले की सिफारिश कर दी थी। किसी भी जज के ट्रांसफर पर उनकी ही उनकी भी सहमति ली जाती है और इस प्रक्रिया का पालन भी किया गया है।

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