ताबड़तोड़ चाटुकारिता के चलते जी न्यूज के एक सीनियर मुस्लिम पत्रकार ने नौकरी को लात मारा |
नई दिल्ली / गरिमा श्रीवास्तव:- लीजिये मीडिया ही बटोर रही मीडिया में सुर्खियां
बात है मीडिया जगत में अपना बड़ा नाम बनाने वाली ज़ी मीडिया कंपनी की।
16 दिसंबर को जब जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने CAA के चलते भयावह हिंसक रूप ले लिया उसके बाद जी न्यूज़ के एडिटर इन चीफ ने अपने डेली प्राइम शो डेली न्यूज़ एनालिसिस के जरिये देश की जनता को सम्बोधित किया था।
उनके सम्बोधन के बाद जी मीडिया के वीडियो कंटेंट के पूर्व प्रमुख नासिर आज़मी का बड़ा आरोप सामने आया। उन्होंने चीफ एडिटर सुधीर चौधरी पर समाज में अराजकता फ़ैलाने का आरोप लगाया है।
चीफ एडिटर ने दर्शकों के सम्बोधन में कहा कि 'लोकतान्त्रिक 'रूप से विरोध करना सबका अधिकार है। पर विरोध को हिंसक न बनने दें। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने समाज में हिंसक प्रदर्शन गाड़ियां जलने इत्यादि के लिए युवा पीढ़ी को ज़िम्मेदार बताया।
रिपोर्टर से मुखातिब होने के दौरान नासिर ने कहा कि चौधरी एकतरफा रिपोर्टिंग पर ज़्यादा फोकस करते हैं। जी ग्रुप के अध्यक्ष सुभाष चंद्र को लिखे एक पत्र के माध्यम से नासिर ने अपने पद से इस्तीफ़ा देते हुए संगठन के रूख और उसके सम्पादकीय निर्णयों के बीच मौजूद तनावों के तरफ इशारा किया है।
नासिर का कहना है कि ज़ी मीडिया अपने पत्रकारिता पहुँच का दुरूपयोग कर रहा है ,यह हर तरह से अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहा है ,जनता तक एकतरफा बातें ज़्यादा पहुँच रही हैं।
उन्होंने बात को आगे बढ़ाते हुए कहस कि इसीलिए मैंने जनता के सम्मान की रक्षा को महत्ता देते हुए और पत्रकारिता को बचाने के लिए नैतिक आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूँ।
नासिर ने हाल फिलहाल का एक वीडियो पेश किया जिसमे दिखाया गया है कि AMU के छात्रों ने “हिन्दुओं से आज़ादी “के नारे लगाए थे। पर उनका कहना है कि असल में छात्रों ने हिन्दुओं से नहीं “हिंदुत्व से आज़ादी” के नारे लगाए थे। फिर भी कई मीडिया हाउस ने ,जिसमे ज़ी न्यूज़ भी शामिल है उस वीडियो का इस्तेमाल किया। बाद में फोरेंसिक जांच के दौरान असल सच का पता चलता है पर फिर कोई भी मीडिया हाउस उसके लिए सफाई पेश करती नज़र नहीं आती ,क्योंकि अगर वह ऐसा करेंगे तो उससे उनकी गलतियां समाज में प्रदर्शित होंगी।
नासिर ने अपने बयान में यह भी कहा कि जब जामिया में हिंसक प्रदर्शन हो रहे थे तो पुलिस द्वारा छात्रों पर हुए अत्याचार को नज़रअंदाज़ कर दिया गया ,उन कहना है कि मैंने ऐसी कई वीडियो क्लिप और फोटोज व्हाट्सअप ग्रुप पर भेजे जिसमे पुलिस द्वारा हिंसा दिखाई दे रही थी पर उसको लेकर ग्रुप से किसी की भी प्रतिक्रिया नहीं आयी और अगले दिन यह पता चलता है कि ज़ी न्यूज़ सिर्फ अपने चैनल के माध्यम से यह बताएगी कि जामिया में छात्रों द्वारा भयावह प्रदर्शन किया गया।
नासिर ने बताया कि चार दिसंबर को उनके पास एक पत्र भेजा गया जिसमे लिखा गया था कि आपका प्रदर्शन “औसत से कम ” है और इस कारण से उन्हें एक महीने की नोटिस पर रखा गया।
ज़ी के एक कर्मचारी ने नाम प्रदर्शित न होने के शर्त पर बताया कि नासिर धर्मवाद जातिवाद को बढ़ावा दे रहे थे।
नासिर का कहना है कि उनके खिलाफ संगठन ने नस्लवादी गालियों का इस्तेमाल किया, इसके लिए कर्मचारी ने नासिर के दावे को झुठलाते हुए कहा कि अगर उन्हें काम करने में या किसी चीज़ से आपत्ति है तो वह निसंदेह इस्तीफा दे सकते हैं पर संगठन पर किसी प्रकार का आरोप न लगाए।
ज़ी में किसी के साथ भी किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता है ,न ही किसी भी व्यक्ति विशेष के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई जाती है। यह सबके कार्यों का सम्मान किया जाता है।
कर्मचारी के मुताबिक नासिर के सभी आरोप बेबुनियाद हैं।