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पचमढ़ी की सर्द हवाओं में खूब जमा कवि सम्मेलन

पचमढ़ी की सर्द हवाओं में खूब जमा कवि सम्मेलन

पिपरिया से हर्षित शर्मा की रिपोर्ट-

जिंदगी की कशमकश में मुश्किलें काफी रही,पचमढ़ी में जम गई महफिल ठआको की.जी हां पचमढ़ी महोत्सव की तीसरी संध्या में लोकप्रिय कवि संपत सरल, चिराग जैन ,पार्थ नवीन ,अरुण जैमिनी, मनीषा शुक्ला द्वारा हास्य कविताओं का पाठन किया गया।अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवियो की हास्य कविताओं पर श्रोताओं ने खूब ठहाके लगाए। कवि सम्मेलन का संचालन लोकप्रिय कवि चिराग जैन द्वारा किया गया। कवि संपत सरल द्वारा काव्य पाठ में कहा

“वे भी क्या दिन थे जब घड़ी एक आध के पास होती थी, समय सबके पास होता था, आज की तरह नहीं था कि फेसबुक पर 5000 दोस्त है और परिवार में ही बोलचाल बंद है”।

पार्थ नवीन द्वारा निम्न काव्य पाठ किया गया।

“जैन सिख मुस्लिम ईशा और हिंदु तू।

साक्षी मलिक भी तू और पीवी सिंधु भी तू।

सेना का जुनून भी है युवाओं की जान है ।

सारे जहां से अच्छा मेरा हिंदुस्तान है”।

नारी के प्रति सम्मान पर लोकप्रिय कवि चिराग जैन द्वारा कविता पाठ किया गया।

“मेरे पिता ने बचपन में मुझे कभी गुड़िया से नहीं खलेने दिया ताकि मैं सीख सकूं की लड़कियां खेलने की चीज नहीं है”

कवि अरुण जैमिनी द्वारा निम्न पंक्तियों का पाठन किया।

“मिलकर जीवन से उम्र हम तमाम करते हैं

 दर्द को भूलने का इंतजाम करते हैं”

कवयित्री मनीषा शुक्ला जी द्वारा निम्न कविताओं का पाठन किया।

“अगर हो रोशनी तो तीरगी आसान कर ले हम

मिले इक  ख्वाब सारी नींद का नुकसान कर ले हम

सुना है दिल धड़कता है ,सुना है जान जाती है

हमें एक बार हो ,तो इश्क की पहचान कर ले।

आदि कविताओं का पाठन किया गया।

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