ना जाने कब भरेगा इन लोगों का पेट

- भारत में रिश्वतखोरी के मामलों में 10 फ़ीसदी की आई गिरावट
- आज भी रिश्वत लेने-देने के लिए किया जाता है नकद का उपयोग
इस बात का अंदाज़ा लगाना तो बेहद मुशकिल होगा कि यह रिश्वत लेने-देने का सिलसिला आखिर कब ख़त्म होगा। 'इकोनॉमिक टाइम्स' की ख़बर के मुताबिक़, भारत में पिछले साल के मुक़ाबले रिश्वतखोरी के मामलों में 10 फ़ीसदी की गिरावट आई है और उन्होनें बताया कि यह बात उनके सामने ट्रांसपरेंसी इंटरनेशन इंडिया के 'द इंडिया करप्शन सर्वे 2019' के सर्वे से आई है। इतना ही नहीं इस सर्वे में ये भी कहा गया है कि बीते 12 महीनों में 51 फ़ीसदी भारतीयों ने रिश्वत देने का काम किया है।
जहां पर मोदी जी नें कैशलेस इंडिया(cashless india) के लिए इतनी सारी योजनाएं बनाई थी वहीँ अगर हम सर्वे की मानें तो आज वर्तमान में रिश्वत के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल नकद का ही होता है और यह हम अनुमान से नहीं कह रहे हैं, यह हम आपको एक सर्वे के अनुसार बता रहे हैं जो कि दिल्ली, बिहार, हरियाणा और गुजरात समेत क़रीब 20 राज्यों में किया गया था। सर्वे की मानें तो अब भी रिश्वत के लिए नकद का इस्तेमाल सबसे ज़्यादा किया जाता है।
इतना ही नहीं हम आपको बता दें कि इस सर्वे में 16 फ़ीसदी लोग ऐसे भी रहे, जिन्होंने ये कहा कि वो बिना रिश्वत दिए अपना काम निकलवा लेते हैं। इसका मतलब ये हुआ की वो भाई-भतीजा वाला तरीका अपनाते हैं।
स्कूप व्हूप के तथ्यों के आधार पर बताएं तो :
- 38% भूमि और संपत्ति सौदों में रिश्वत शामिल है।
- 62% कानून प्रवर्तन अधिकारी घूस लेते हैं।
- ट्रक वालों के लिए 60% रोड स्टॉप पैसा निकालने के लिए हैं।
- 60% लोग जिन्होंने अपना ड्राइविंग लाइसेंस किसी एजेंट से लिया है, उन्होंने ड्राइविंग परीक्षा नहीं दी है।
- संसद के 31% सदस्यों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।
- जी स्पेक्ट्रम घोटाला, जिसमें अनियमित बिक्री के दौरान मोबाइल फोन कंपनियों को लाइसेंस दिए जाने की लागत देखी, या फिर कह सकते हैं जो राशी सिर्फ रिश्वत देने में खर्च हुई है, उस लागत की राशी 1.76 ट्रिलियन रुपए थी।
- विश्व बैंक की एक रिपोर्ट से पता चला है कि गरीबों को दिया जाने वाला केवल 40% अनाज ही उसके लक्ष्य तक पहुँचता है बाकी रिश्वत में हि चला जाता है।