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काशी में खेली गयी अनोखी होली, चिताओं की राख से होली का खुमार

 

वाराणसी: होली जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे-वैसे देश के लोगों में होली का खुमार बढ़ता जा रहा है।हमेश देश में होली में कुछ नया देखने को मिलता है। एक बार फिर अनोखा रंग देखने को मिला और इस बार ये धर्म नगरी काशी में। जहां रंग के साथ जलती हुई चिताओं के राख से भी होली खेली जा रही है। ये होली वाराणसी (Varanasi) के मर्णिकर्णिका घाट पर होती है। यहां कि मान्यता है कि भगवान शिव इस श्मशान घाट में अपने गढ़ों के साथ चिता भस्म की होली खेलते हैं। 'खेले मसाने में होली, दिगम्बर खेले मसाने में होली' ये गंगा धर्म नगरी वाराणसी में प्रत्येक वर्ष रंगभरी एकदशी के दूसरे दिन चरितार्थ उस वक्त होता है, जब वाराणसी के मर्णिकर्णिका घाट पर चिताओं के राख से होली खेली जाती है।

पातालपुरी के महंत बालकदास ने यहां कि मान्यताओं के बारे में बताते हुए कहा, यहां मृत्यु भी एक उत्सव है और इस उत्सव में साल में एक बार बाबा विश्वनाथ खुद शामिल होते हैं। और अपने भक्तों के साथ होली खेलते हैं। इस होली में पूरी काशी शामिल होती है, और चिताओं के राख से मस्ती और उल्लास के साथ होली खेली जाती है। अबीर के रंग में रंगी चिताओं के भस्म से हर कोई सराबोर रहता है और काशी का कोना-कोना हर हर महादेव के घोष से गूंजता रहता है। इस उत्सव में विदेशी सैलानी भी शामिल होते हैं और इसके रंग में रग जाते हैं।

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