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जिस ट्रेन से जीते जी न आ सके अब मरने के बाद उसी से उनका शव लाया जा रहा है

भोपाल डेस्क (गौतम कुमार)

प्रदेश के शहडोल और उमरिया में आज मातम पसरा है। मृतक मजदूरों के परिवारवाले विलाप कर रहे हैं और प्रशासन सो रहा है ठीक वैसे हीं जैस कि पिछले 2 महीनों से सो रहा था। क्या गलती थी उन मजदूरों की ये कि वे मजदूर थे या ये कि वे मजबूर थे। उनकी कोई गलती थी भी या नहीं! कहीं वे किसी और के गलती का खामियाजा तो नहीं भुगत गए! सवाल अनेक हैं पर अब जवाब का फायदा भी क्या जिनके लिए ये सवाल थे वे तो दुनिया से विदा हो गये और कुछ छोड़ गए तो इस देश की सरकार और अमीरों पर अपना बड़ा एहसान।

घरवालों का रो-रोकर बुरा हाल 

शहडोल से एक विडियो अपलोड हुई है आज के परिवारवाले बिलख रहे हैं। चारों तरफ बस चीत्कार मची हुई है। वे लोग इंतज़ार में थे कि उनके परिवारवाले जल्द ही अपना सफर पूरा कर उनके पास पहुचेंगे। पर उन्हें क्या पता थे कि उनकी यह आस मातम में बदल जाएगी। इन मजदूरों की गलती बीएस इतनी सी थी कि इस काल के समय वे अपने घर जाना चाहते थे। जैसे हम आप सभी जाना चाहते हैं। पर प्रदेश सरकारें सोती रहीं। इनलोगों को मजबूर किया गया की आप लोग पैदल ही निकल जायें। लाख वादे किये गए कि पहुँचाया जाएगा फिर क्यूँ नहीं पहुँचाया गया। क्यूँ ये पटरी के बगल -बगल ही चलने को मजबूर हुए। सवाल अनेक हैं पर जवाब किस्दी के पास नहीं।

मध्यप्रदेश के शहडोल के श्रमिकों के गाँवों में शोक पसरा है चीत्कार कर रहे हैं परिजन जो राह देख रहे थे उनकी जो जालना से चले थे रेल क़ी पटरियों के किनारे किनारे @ABPNews @awasthis @nikhildubei @PrabhuPateria @AshishSinghLIVE @Anurag_Dwary #MadhyaPradesh #प्रवासी_मज़दूर pic.twitter.com/EgtprgsiBl

— Brajesh Rajput (@brajeshabpnews) May 8, 2020

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चंद सवाल ऐसे भी 

ये मजदूर पिछले कई दिनों से मध्यप्रदेश सरकार के निगरानी में थे,क्या इनके खाते में 1 हजार की राशि डाली गई थी,क्या सरपंच सचिव इनके संपर्क में नही थे? फिर कैसे हादसा हुआ! इन सबकी जांच हो कलेक्टर जिसके खाते में पैसा डलवाते थे उसको फोन किया जाता है उसकी लॉकेशन ली जाती रही होगी?

महाराष्ट्र में हुए दर्दनाक रेल हादसे (rail accident) के बाद अब सरकार औरंगाबाद (aurangabad) में फंसे मजदूरों (labours) को वापस ला रही है। इसके लिए एक स्पेशल ट्रेन औरंगाबाद से जबलपुर (Jabalpur) के लिए रवाना हो रही है। इसमें रेल हादसे में मारे गए मजदूरों के शव लाए जाएंगे. जो घायल श्रमिक रेल के जरिए वापसी कर सकते हैं, उन्हें भी जबलपुर लाया जाएगा।

मरने वाले सभी मजदूर उमरिया और शहडोल के थे। काफी आस लगाकर उस आदमखोर शहर कि ओर निकले थे और आखिरकार वो इन्हें लील गया। कोरोना क्या मारेगा इन्हें ये मजदूर हैं हर दिन खुद जाने कितनी मौतें मरते हैं।ये हत्या है हादसा नहीं।

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