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मध्य प्रदेश में निजी अस्पतालों की मनमानी,सरकार नही लगा पा रही अंकुश

मध्यप्रदेश/ इंदौर(Indore)-: अब निजी अस्पतालों (Private hospital) का सरकार पर दबाव है या सरकार ही ऐसा नहीं चाहती कि राज्य की जनता को बीमारियों के इलाज में निजी अस्पतालों की मनमानी से मुक्ति मिले। निजी अस्पतालों में इलाज को लेकर पारदर्शिता आए? अब ये सवाल इसलिए उठना जरूरी है क्योंकि मध्य प्रदेश(Madhya pradhesh) सरकार 10 सालो में भी निजी अस्पतालों की मनमानी रोकने का कानून लागू नहीं कर पाई। और केंद्र सरकार (Central government) ने वर्ष 2010 में ही यह कानून बनाकर राज्यों को लागू करने को कहा था। बता दे कि पिछले साल मध्यप्रदेश सरकार ने मध्य प्रदेश क्लिनिकल स्टेबलिशमेंट (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) बिल का प्रारूप तो बना लिया, लेकिन अब तक इसे लागू नहीं किया है। बताया जाता है कि निजी अस्पतालों के दबाव में यह कानून अब तक जनता की ताकत नहीं बन पाया है। दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश (Uttar pradesh), राजस्थान(Rajasthan), बिहार (Bihar), झारखंड(Jharkhand) के अलावा केंद्र शासित प्रदेशों में इसे लागू किया जा चुका है।

दिल्ली(Delhi) और पश्चिम बंगाल(Pashichm bangal) ने भी अपने हिसाब से इसका प्रारूप तय किया है। यदि मध्यप्रदेश में यह कानून लागू होता है तो इससे निजी अस्पतालों में इलाज की सुविधाओं, बीमारियों के पैकेज, रूम किराया आदि को लेकर पारदर्शिता आ सकती है। साथ ही कोरोना जैसी महामारियों के समय निजी अस्पतालों का अधिग्रहण होने से प्रबंधन, प्रशासन और अन्य गतिविधियां शासन-प्रशासन के अधिकार क्षेत्र में आ जाती। इसलिए पड़ी इस कानून की जरूरत दरअसल, भारतीय संविधान की धारा-47 के तहत जन स्वास्थ्य का विषय राज्य की जिम्मेदारी है।

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