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यूरिया की मार:जिनकी जगह स्कूलों में बैठकर पढ़नें की, वो यूरिया के लिए किसानों के साथ लगे हैं कतारों में
यूरिया की मार :जिनकी जगह स्कूलों में बैठकर पढ़नें की, वो यूरिया के लिए किसानों के साथ लगे हैं कतारों में
शैलजाकान्त मिश्रा की स्पेशल रिपोर्ट- प्रदेश में यूरिया की कमी के संकट का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां किसानों के साथ बच्चे भी लाइनों में लगने को मजबूर हो गए हैं।
लगती हैं लम्बी लम्बी कतारें
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यूरिया की किल्लत इस कदर है कि किसान सुबह से ही लाइनों में लग जाते हैं,इसके लिए उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ता है।
यूरिया की जगह मिलती है हताशा
किसान जल्द सुबह सारे काम छोड़ कर लाइन मे इस आस से लगता है कि उसे यूरिया मिल सकेगी,लेकिन किल्लत इस कदर बढ़ जाती है कि कई किसानों को हताशा ही हाथ लगती है।
खेतों की जगह, लाइनों में लगे किसान
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एक किसान की तकलीफ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह दो वक्त की रोटी के लिए कितनी लाइनों से होकर गुजरता है। अपनी फसल बेंचनी हो तो लाइन में लगता है,यूरिया खरीदनी हो तो लाइन में लगता है,बैंकों में लाइन में लगता है तब जाकर उस मुंह तक निवाला पहुंचता है,जो सभी का पेट भरता है।
खरगोन जिले की हालात और बद्तर
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यूरिया के लिए किसानों को कृषि उपज मंडी में कतारें लगाकर धक्के खाने पड़ रहे हैं।
कृषि विभाग दे रहा सफाई
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कृषि विभाग के अनुसार जिले में यूरिया की आपूर्ति लगाकर कराई जा रही है
दर-दर भटक रहे
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कभी विपणन संघ के गोदाम पर फिर वहां से गणेश मार्केट जहां सुबह 11 बजे यूरिया बंटना शुरू होती है
फसलों को हो रही है हानि
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फसल की अच्छी पैदावार के लिए इस समय यूरिया का छिड़काव बहुत जरूरी है।
अफसरों के खोखले दावे
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अफसरों का कहना है कि हमारे पास पर्याप्त स्टॉक है लगातार रैक मंगाई जा रही हैं। लेकिन किसानों की लम्बी कतारें यह बता रही हैं कि यह दावा महज किताबी है।