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आखिर कितनी खतरनाक है यह ल्यूकेमिया जिसने ऋषि कपूर कि जान ले ली, क्या इसका इलाज़ संभव है

मुंबई

बुधवार को ऋषि कपूर(Rishi Kapoor) को उनके परिवार ने एच एन रिलायंस अस्पताल में भर्ती कराया था। उनके भाई रणधीर ने बताया था कि उन्हें सांस लेने में समस्या हो रही थी। जिसके बाद देर रात उन्होंने दम तोड़ दिया। वे काफी समय से ल्यूकेमिया से पीड़ित थे। इसका इलाज़ वे विदेश में भी करवा चुके थे और उन्होंने उम्मीद दिलाई थी कि वे ठीक हो जाएंगे। परन्तु अचानक से वे बीमार पड़े और उनकी मौत हो गई।

आखिर क्या है ये बिमारी जिसके वजह से बॉलीवुड ने अपना एक दौर खो दिया।पहले इरफ़ान खाना और फिर ऋषि कपूर, ल्यूकेमिया(leukemia) एक प्रकार का ब्लड कैंसर(Blood Cancer) है जो शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स(WBC) की संख्या में बढ़ोतरी की वजह से होता है। व्हाइट ब्लड सेल्स रेड ब्लड सेल्स(RBC) पर हावी हो जाते हैं और शरीर के स्वस्थ रहने में अहम भूमिका निभाने वाले प्लेटलेट्स(Platelets) पर भी पकड़ बना लेते हैं। व्हाइट ब्लड सेल्स की ज्यादा मात्रा की वजह से शरीर को बेहद नुकसान पहुंचने लगता है।

जल्द पता लगाना मुश्किल 

ल्यूकेमिया में अलग-अलग तरह की समस्याएं हो सकती हैं। इसकी शुरुआती स्टेज में बीमारी का कोई संकेत नहीं मिलता है। ल्यूकेमिया में कमजोरी या थकान, ब्लीडिंग जल्दी होना, बुखार, बार-बार इन्फेक्शन होना, हड्डियों में दर्द होना, वजन कम होना, सांस में तकलीफ, पसीना आना, सिर दर्द, उल्टी जैसी शिकायतें होती हैं। मेडिकल की प्रमुख वेबसाइट के मुताबिक, ल्यूकेमिया की स्पष्ट वजह के बारे में किसी को नहीं पता है। जिन लोगों में ये होता है, उनमें असामान्य क्रोमोसोम्स होते हैं लेकिन क्रोमोसोम्स की वजह से ल्यूकेमिया नहीं होता है।

ल्यूकेमिया को रोका नहीं जा सकता है लेकिन कुछ चीजें हैं जिससे इसका खतरा बढ़ सकता है। जैसे-स्मोकिंग, विकिरण या कुछ केमिकल्स के संपर्क में ज्यादा आना, परिवार में किसी को ल्यूकोमिया होना, किसी तरह का जेनेटिक डिसऑर्डर होना।

ल्यूकेमिया में क्या होता है 

ब्लड में तीन तरह के सेल्स होते हैं- व्हाइट ब्लड सेल्स जो संक्रमण से लड़ते हैं, रेड ब्लड सेल्स जो ऑक्सीजन वहन का काम करते हैं और प्लेटलेट्स जो ब्लड के थक्के बनने से रोकते हैहर दिन बोन मैरो (Bonemarrow) अरबों की संख्या में नए ब्लड सेल्स बनाते हैं और इनमें से अधिकतर रेड सेल्स ही होते हैं। लेकिन ल्यूकेमिया होने पर शरीर में जरूरत से ज्यादा व्हाइट सेल्स बनने लगते हैं। ल्यूकेमिया सेल्स संक्रमण से उस तरह से नहीं लड़ पाते हैं जिस तरह से सामान्य ब्लड सेल्स लड़ते हैं। ज्यादा संख्या में होने की वजह से ये शरीर के दूसरे अंगों के काम करने के तरीके पर असर डालने लगते हैं। एक वक्त आता है जब शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए पर्याप्त रेड ब्लड सेल्स ही नहीं रह जाते हैं।

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