अयोध्या मामले में 17 नवंबर तक आ सकता है फैसला
अयोध्या मामले का सुनवाई होने से पहले ही निर्मोही अखाड़े ने एक और अखाडा शुरू कर दिया| आखिर कब तक इस मुद्दे पर हिन्दू मुस्लिम आपस में लड़ते रहेंगे| इस मुद्दे पर अब और कितनी राजनीती खेली जाएगी | जानते है आखिर हुआ क्या ?
अयोध्या मामले में निर्मोही अखाड़े ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले मोल्डिंग ऑफ रिलीफ के लिए नोट दाखिल किया है. इस नोट के माध्यम से अखाड़े की तरफ से रामलला या किसी भी हिन्दू पक्षकार के पक्ष में डिग्री होने पर अपने सेवायत अधिकार के बरकार रखे जाने की दावा की गई है | साथ ही कहा कि विवादित भूमि पर मंदिर बनाने के साथ ही रामलला की सेवा पूजा के साथ व्यस्था की जिम्मेदारी का भी अधिकार हो, अखाड़े ने अपने नोट में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रहने और मुस्लिम पक्ष की ओर से वहां कोई निर्माण ना करने के इरादे जताते हुए कोर्ट को मुस्लिम पक्ष को निर्देश देने की बात भी कही है. ताकि वो अपने हिस्से की भूमि अखाड़े को लंबी अवधि के पट्टे पर दे जिससे वहां रामलला का भव्य मन्दिर बन सके. साथ ही कोर्ट मुस्लिम पक्ष को 77 एकड़ अधिग्रहित भूमि से बाहर मस्जिद के लिए समुचित भूमि उपलब्ध कराने का आदेश सरकार को दे.
क्या होता है मोल्डिंग ऑफ रिलीफ
सिविल सूट यानी जमीन पर मालिकाना हक़ वाले मामलों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। संविधान के अनुच्छेद 142 और सीपीसी की धारा 151 के तहत इसे उपयोग में लाया जाता है। दरअसल याचिकाकर्ता अदालत से केस के संबंध में कुछ मांग करते हैं, अगर अदालत उनकी मांग से सहमत नहीं होती है तो आगे क्या विकल्प हैं जिसके तहत उन्हें राहत दी जा सकती है। अगर किसी जमीन पर एक से ज्यादा दावेदार हैं और फैसला किसी एक के पक्ष में आता है तो दूसरे पक्ष को क्या मिलेगा।
बता दें कि इस पूरे विवाद के बीच रामलला विराजमान की ओर से भी लिखित जवाब दाखिल किया गया है. जिसमे रामलला ने सुप्रीम कोर्ट में सारा क्षेत्र राम मंदिर के लिए उसे देने का दावा किया है | साथ ही निर्मोही अखाड़ा या मुस्लिम पार्टियों को जमीन का कोई हिस्सा नहीं देने की बात भी की | उधर, राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने भी सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है. जिसमे समिति ने कहा कि विवादित जमीन पर मंदिर ही बने , साथ ही मंदिर प्रशासन के लिए एक ट्रस्ट के गठन करने की बात कही गई है|
वहीं, मुस्लिम पक्ष ने भी मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर सुप्रीम कोर्ट में सील बंद नोट दाखिल किया है. सूत्रों के हवाले से मुस्लिम पक्ष ने कहा कि उन्हें वही राहत चाहिए जो उन्होंने बहस के दौरान कही थी| राजीव धवन ने बहस के दौरान कहा था कि उन्हें विध्वंस से पहले की बाबरी मस्जिद चाहिए. इन सब के बीच हिन्दू महासभा ने मोल्ड़िंग ऑफ रिलीफ़ पर सुप्रीम कोर्ट में लिखित जवाब दिया है. महासभा का कहना है की राम मंदिर के निर्माण पर पूरे मंदिर की व्यवस्था के लिए सुप्रीम कोर्ट एक ट्रस्ट बनाए|
मध्यस्थता पैनल में सुप्रीम कोर्ट रिटायर जज एफएम कलीफुल्ला, श्री श्रीरविशंकर और वरिष्ठ वकील श्री राम पंचू शामिल हैं| अयोध्या मामले की सुनवाई बुधवार को पूरी हो चुकी है और अब सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच इस पर 17 नवंबर को प्रधान न्यायाधीन रंजन गोगोई के रिटायर होने से पहले फैसला सुना सकती है |