भोपाल गैस पीड़ितों की सहायता करने वाले जब्बार का निधन, जानिए जब्बार से जुड़ी कुछ अनकही बातें
भोपाल गैस पीड़ितों की सहायता करने वाले जब्बार का इंतकाल
- भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों की मदद करने वाले अब्दुल जब्बार निधन
- निधन के एक दिन पहले ही मध्य प्रदेश सरकार ने उनके इलाज का खर्च उठाने का किया था ऐलान
- जब्बार ने गैस त्रासदी में खोया था अपने माता पिता
- जब्बार करते थे एनजीओ के जरिए पीड़ितों की मदद
गैस पीड़ितों के हक की लड़ाई लड़ने में अपना जीवन बिता देने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल जब्बार का गुरुवार रात करीब 10:15 बजे इंतकाल हो गया। जब्बार काफी वक्त से बीमार चल रहे थे। जिनसे मिलने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अस्पताल पहुंचे जिसके बाद दिग्विजय सिंह ने परिजनों को भरोसा दिलाया कि इनके इलाज के पैसे सरकार मुहैया कराएगी जिसके बाद सीएम कमलनाथ ने भी ट्वीट करके के जब्बार को इलाज के लिए मुंबई भेजने की बात कही
कैसे हुआ निधन
जब्बार पिछले काफी वक्त से बीमार चल रहे थे, उनके बाएं पैर में गैंगरीन था, जिसके इलाज में वह आर्थिक तंगी में पहुंच गए थे। कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और मित्रों ने उनके इलाज के लिए फंड जुटाने सोशल मीडिया पर मुहिम भी चला रखी थी।
वही उनका इलाज कर रहे डॉ. अब्बास ने बताया कि जब्बार हार्ट पेशेंट थे। उन्हें डायबिटीज भी थी। गुरुवार रात 9 और 10 बजे उन्हें दो बार हार्टअटैक आया, जिससे उनका निधन हो गया।
गैस त्रासदी ने छीना जब्बार के माता-पिता
दो दिसंबर 1984 की वो काली रात जिसने भोपाल के लोगो की ज़िंदगी में तूफान ला दिया था क्योंकि दो दिसंबर 1984 की रात भोपाल की यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से जहरीली मिथाइल आइसोसाएनेट गैस लीक हुई जिसने हजारों लोगों की जान ले ली। जिसमें अब्दुल जब्बार ने अपने माता पिता को खो दिया।
तबाही ऐसी थी कि हवा जिस ओर भी बहती थी लोगों की मौत होती चली जाती थी। कुछ ही घंटों में वहां तीन हजार लोगों की मौत हो गई। लोगों का मानना है कि वहां 10 हजार के करीब लोग मारे गए थे। इस त्रासदी का प्रभाव अब भी देखा जा सकता है। इस विभीषिका के बाद अब्दुल जब्बार आगे आए और वह पीड़ितों की आवाज बने। अपने एनजीओ के माध्यम से वह पीड़ितों के परिवार की मदद करते थे और उनकी बात को सरकार तक पहुंचाने का भी काम करते थे।