आधुनिकता की दौड़ में घटती सांसे, साल में घटेगी 24 हजार किलो ऑक्सीजन

आधुनिकता की दौड़ में घटती सांसे, साल में घटेगी 24 हजार किलो ऑक्सीजन
भोपाल. आधुनिकता और जरुरतों की दौड़ में प्रकृति बहुत पीछे छूट गई है जिसकी वजह से हर साल ऑक्सीजन में कमी आ रही है। मेट्रो शहर में भागती दौड़ती ज़िंदगी के बीच लोग बेपरवाह है और सरकार भी मेट्रो प्रोजेक्ट के रेस में वातावरण का ख्याल रखना भूल गई है। भोपाल में भी मेट्रो प्रोजेक्ट की शुरुआत होने वाली है जिसके लिए पेड़ों की कटाई की जाएगी और वातावरण संतुलन बिगड़ेगा लेकिन इस बात की परवाह न शहर की जनता को है न ही सरकार को।
मेट्रो के लिए कटने वाले पेड़ों की संख्या
मेट्रो के दोनों रूट के लिए कुल 2,222 पेड़ काटे जाएंगे। इन पेड़ों की कटाई से 6,576 किग्रा. ऑक्सीजन हर साल वातावरण में ही रह जाएगी और 24,132 किग्रा ऑक्सीजन कम मिलेगी। इनकी एवज में 8828 पेड़ लगाने के लिए एक करोड़ 28 लाख 600 रुपए जमा होंगे। ताकि क्षतिपूर्ति पौधरोपण के रूप में 8,828 पेड़ लगाए जा सकें बता दें कि यह अभी तय नहीं है कि यह पेड़ कब और कहां लगेंगे। प्रोजेक्ट के एन्वायर्नर्मेंट मैनेजमेंट प्लान पर 9 करोड़ नौ लाख 72 हजार रुपए खर्च होंगे।
सवाल ये उठता है कि पेड़ कितने और कहां से कटने है जब ये बात तय हो चुकी है तो पेड़ कहा लगाए जाएंगे ये तय क्यों नही हो पा रहा है? साथ ही ऑक्सीजन की भरपाई कैसे की जाएगी। क्या मेट्रो प्रोजेक्ट वातावरण के संतुलन से ज्यादा जरुरी है? सरकार अपने वादे के हिसाब से पेड़ों को काट कर मेट्रो बना तो देती है लेकिन कटे पेड़ों की भरपाई कोई भी सरकार अपने वादे के अनुसार नही करती है। वही मेट्रो से सफर तय करने वाली जनता को भी बाहरी वातावरण से कोई खास फर्क नही पड़ता।