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चंबल का पानी बाँट रहा कैंसर, जानिए एमपी के किस इलाके का पानी हुआ ज़हर

नागदा / गरिमा श्रीवास्तव :- उज्जैन(Ujjain) के पास का इलाका इस कदर प्रदूषित हो चुका है कि लोग युवावस्था में ही बूढ़े नज़र आने लगे हैं। चम्बल नदी के किनारे क्षेत्र में बसे लोगों का जीवनयापन बेहद मुश्किल हो गया है।
किनारे पर बसे इस क्षेत्र की जमीन, वायु, पानी सब कुछ प्रदूषित हो चुकी है। नदी के किनारे के आस – पास के 14 गाँव प्रभावित हैं।  इन गाँव में रहने वाले लोगों की दशा बेहद चिंतनीय है।

लोगों की आंखें खराब हो रही हैं। अंग बेकार हो रहे हैं जबकि कुछ तो कैंसर(Cancer) की गिरफ्त में आ चुके हैं।
हैंडपंप से तैलीय पानी निकल रहा है जो बेहद दूषित होता है। उनकी आंखें खराब हो रही हैं. अंग बेकार हो रहे हैं जबकि कुछ तो कैंसर की गिरफ्त में आ चुके हैं।
 
चंबल में कभी बड़ी संख्या में मछलियां-घड़ियाल, मगरमच्छ हुआ करते थे. लेकिन चंबल के पानी में घुले जहरीले तत्वों से इसका ईको सिस्टम बर्बाद हो गया है. 2013 में हुई एक रिसर्च के मुताबिक, चंबल में मिस्टस, पुनटियस जैसी मछलियां और घड़ियाल व मगरमच्छ पाए जाते थे, लेकिन अब सब विलुप्त होने की कगार पर हैं।


 पीएचई(PHE) ने भी अपनी जांच में पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक पाई थी जिसके बाद से यहां के 13 हैंडपंपों में से 10 के उपयोग पर रोक लग चुकी है। जबकि 3 हैंडपंपों के पानी का उपयोग सिर्फ बर्तन धोने या सफाई करने में किया जा सकता है।
लोगों ने बताया कि यहाँ बच्चे तो स्वस्थ पैदा होते हैं पर कुछ दिन बाद वह दिव्यांग हो जाते हैं यह सब प्रदूषण का नतीजा है।

केंद्रीय और मध्यप्रदेश प्रदूषण विभाग की टीम के सदस्य सीनियर साइंटिस्ट सुनील मीणा ने बताया कि जब हमें नागदा(Nagda) में प्रदूषण से लोगों के दिव्यांग होने की खबर मिली तो वॉटर रिसोर्स टीम(Water Resource Team), ग्राउंड वॉटर बोर्ड(Ground Water Board) और केंद्रीय प्रदूषण विभाग का दल मौके पर पहुंचा। पानी की जाँच करने के बाद पूरी टीम अवाक रह गई। गाँव में कैंसर तेज़ी से फ़ैल रहा है। 40 से ज़्यादा लोग दिव्यांग हैं।

 औद्योगिक क्षेत्र का एक और इलाका है मेहतवास।  लोगों ने बताया कि प्रदूषण की वजह से उनके बीच कैंसर फैल रहा है। यहाँ की एक कॉलोनी को कैंसर कॉलोनी का नाम दे दिया है। यहां लगभग 300 परिवार रहते हैं और तकरीबन हर चौथे घर में कैंसर मरीज है।

इस इलाके की स्थिति बेहद चिंतनीय है।

 

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