सरकारी संपत्ति की बिक्री की तैयारी में मोदी सरकार, जुटाए जाएंगे 60 खरब रुपये, वित्त मंत्रालय ने शुरू किया योजना पर काम
नई दिल्ली : देश की ज़्यादातर सरकारी संपत्ति को निजी हाथों में सौंपने के बाद मोदी सरकार ने एक बार फिर 60 खरब की सरकारी संपत्ति की बिक्री की तैयारी कर ली है। सरकार ने ट्रांसमिशन लाइन, टेलिकॉम टावर, गैस पाइपलाइन, हवाई अड्डे, पीएसयू समेत सरकारी कंपनियों की कई संपत्तियों को बेचने या लीज पर देने की तैयारी कर ली है। इसे अगले चार सालों के दौरान अमल में लाए जाने की योजना है।
सूत्रों का कहना है कि बीएसएनएल और एमटीएनएल के टावरों को लीज पर देने के साथ उन्हें बेचा भी जा सकता है। बीएसएनएल, एमटीएनएल के टावर निजी टेलिकॉम कंपनियों को पहले ही रेंट पर दिए गए हैं। वहीं, सरकार रेल और रोड से जुड़ी संपत्तियों को भी बेचने की फिराक में है। इसके अलावा गेल के पाइपलाइन बिजनेस को मूल कंपनी से अलग किया जा सकता है। उसे लॉन्ग टर्म लीज पर दिया जा सकता है या फिर इसे पूरी तरह बेचा भी जा सकता है।
मामले से जुड़े लोगों का दावा है कि वित्त मंत्रालय पीएम मोदी की लाइन पर काम कर रहा है। वो पहले ही मंशा जाहिर कर चुके हैं कि सरकार कुछ चुनिंदा सेक्टरों में ही अपनी उपस्थिति रखने के मूड़ में है। यदि सरकार की योजना अमल में आई तो सरकारी संपत्ति की बिक्री का ये सबसे बड़ा मामला होगा।
मिली जानकारी के अनुसार सरकार के थिंक टैंक ने कई मंत्रालयों से बात करने के बाद यह योजना तैयार की है। इस योजना में इस तरह की संपत्तियों की लिस्ट तैयार की गई है। पावरग्रिड की ट्रांसमिशन लाइन्स से लेकर, बीएसएनएल, एमटीएनएल के टावर, गेल की पाइपलाइन और कई एयरपोर्ट इस सूची में शामिल हैं। इन कंपनियों के एसेट्स की बिक्री से मोदी सरकार को 60 खरब रुपये जुटाने में मदद मिलेगी।
बता दे कि कोरोना की मार से बेहाल सरकार के पास राजस्व जुटाने के विकल्प काफी कम हैं। लिहाजा इन संपत्तियों का बिकना तय माना जा रहा है। मालूम हो कि सरकार पहले ही जीवन बीमा निगम, भारत पेट्रोलियम, एयर इंडिया बेचने की योजना तैयार कर चुकी है।
इधर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (NMP) प्लान का अनावरण किया। उन्होंने कहा कि कम उपयोग वाली संपत्तियों की हिस्सेदारी को बेचा जाएगा। यह मिशन बहुत सारे सेक्टर्स को कवर करेग। इसमें रोड, रेलवे, एयरपोर्ट से लेकर पावर ट्रांसमिशन लाइन्स और गैस पाइपलाइंस भी शामिल हैं।
ध्यान रहे कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही कह चुकी हैं कि राजकोषीय घाटा पूरा करने के लिए सरकार इस तरह की संपत्तियों को बेचने की योजना बना रही है।