एड्स की चपेट में सीधी, तीन सौ के पार पहुँची एड्स रोगियों की संख्या
- इस वर्ष जनवरी से अक्टूबर के बीच जिले में 30 एड्स रोगी पाए गए
- जिले में लगातार बढ़ रही है एड्स रोगियों की संख्या
- 31 गर्भवती महिलाएं भी एड्स से पीड़ित
सीधी। जिले में एड्स की बीमारी लगातार अपने पैर पसार रही है. लगातार बढ़ रही एड्स रोगियों की संख्या चिंता का विषय बन गई है. एड्स रोगियों का आँकड़ा तीन सौ के पार पहुँच गया है. जिला चिकित्सालय परिसर स्थित एकीकृत परामर्श एवं जांच केंद्र के अनुसार वर्ष 2007 से अक्टूबर 2019 तक कुल 73 हजार 327 लोगों का एचआईवी टेस्ट किया गया. जिसमें 330 लोग एचआईवी पॉजिटिव पाए गए. इनमें 178 पुरूष, 121 महिला तथा 31 गर्भवती महिला शामिल हैं. एड्स रोगियों का उपचार एआरटी सेंटर रीवा मे चल रहा है.
उल्लेखनीय है कि एड्स एचआईवी यानी ह्यूमन इम्यूनो डेफीसिएंसी वायरस से फैलता है. यह वायरस शरीर में रोगों से लड़ने की स्वभाविक क्षमता को कम कर देता है. जिस कारण से कई बीमारियां शरीर को घेर लेती है.
महानगरों से आई बीमारी-
जानकारों की माने तो सीधी जिले मे एड्स की बीमारी महानगरों से आई है. जिले से रोजगार की तलाश में लोगों ने महानगरों की ओर पलायन किया. उन्हीं लोगों के माध्यम से यह बीमारी यहाँ पहुँची. खासकर जिले से बाहर जाकर भारी वाहन चलाने वाले लोग असुरक्षित यौन संबंध स्थापित करने पर बीमारी की चपेट में आ गए और उन्हीं के कारण जिले में इस बीमारी ने पैर पसारना शुरू किया.
कैसे होता है संक्रमण-
एचआईवी एड्स संक्रमण मुख्य रूप से चार तरीके से होता है. जिसमे एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने से, एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाने से, ऐसी एचआईवी संक्रमित सुइयां इस्तेमाल करने से जिन्हें विसंक्रमित न किया गया हो. इसके अलावा एचआईवी संक्रमित गर्भवती स्त्री से उसके बच्चे को गर्भावस्था में या प्रसव के दौरान व स्तनपान करने से एचआईवी संक्रमण होता है.
निगेटिव रिपोर्ट पर भी हो सकता है एड्स-
जांच में एचआईवी निगेटिव होने का अर्थ यह नहीं होता कि व्यक्ति के शरीर में एचआईवी का वायरस नहीं है. सामान्य तौर पर प्रचलित एचआईवी की जांच से एचआईवी वायरस नहीं बल्कि उसके प्रति रक्त में विकसित प्रतिरोधी तत्व की जांच कर शरीर में वायरस की उपस्थित को जाना जाता है. कई परिस्थितियों में एचआईवी वायरस के विरूद्ध प्रतिरोधी तत्व बनने में 6 से 12 सप्ताह का समय लग सकता है. इस अवस्था को विंडो पीरियड कहते हैं. उच्च जोखिम व्यवहार के बावजूद यदि कोई व्यक्ति जांच मे एचआईवी मुक्त पाया जाता है तो उसे 6 से 12 सप्ताह के बाद दोबारा एचआईवी संक्रमण की जांच करानी चाहिए. साथ ही ऐसे व्यक्तियों को सुरक्षित व्यवहार अपनाना चाहिए.
सर्वाधिक एड्स रोगी जिले के सिहावल विकासखंड में-
जिले में सर्वाधिक एड्स रोगी सिहावल विकासखंड से सामने आए हैं. यहां से अब तक कुल 130 एड्स रोगी चिन्हित किए जा चुके हैं. जिसमे 63 पुरूष तथा 67 महिलाएं शामिल हैं. इसके बाद सीधी विकासखंड मे एड्स रोगी पाए गए हैं जिनकी कुल संख्या 114 हैं. इसमें 64 पुरूष तथा 50 महिलाएं शामिल हैं. रामपुर नैकिन विकासखंड मे कुल 37 रोगी चिन्हित किये गए हैं. जिसमें 21 पुरूष तथा 16 महिलाएं शामिल हैं. इसी क्रम में मझौली विकासखंड के अंतर्गत 18 रोगी सामने आए हैं. जिसमे 10 पुरूष तथा 8 महिलाएं शामिल हैं. कुसमी विकासखंड मे सबसे कम एड्स रोगी मिले हैं. यहां रोगियों की कुल संख्या 8 हैं. जिसमें चार पुरूष तथा चार महिलाएं शामिल हैं. इसके अलावा सीधी जिले के बाहर यानी पड़ोसी जिलों के भी कुछ संदिग्ध लोगों द्वारा आईसीटीसी केंद्र सीधी में परीक्षण कराया गया है. जिसमें 23 एड्स रोगी पाए गए हैं. इनमें 15 पुरूष तथा 8 महिलाएं शामिल हैं.
विकासखंडवार एड्स रोगियों की संख्या-
विकासखंड कुल रोगी (पुरूष-महिला)
सिहावल – 130 (63-67)
सीधी – 114 (64-50)
रामपुर नैकिन- 37 (21-16)
मझौली- 18 (10-08)
कुसमी – 08 (04-04)
अन्य जिले से – 23(15-08)
कुल-330 (178-152)