हमीदिया की लाचार व्यवस्था : 9 हज़ार लोगों को नहीं मिली पूरी दवाइयां, जिम्मेदार बोले, डॉ लिखते है ब्रांड नेम की दवाएं….

मध्यप्रदेश/भोपाल – भोपाल के हमीदिया अस्पताल में हर दूसरे मरीज को बाहर से दवाइयां खरीदना पड़ रही हैं। गुरुवार को हमीदिया की ओपीडी से दवाएं लेने वाले मरीजों के पर्चे देखे तो 10 में पांच और छह पर्चों पर लाल गोले लगे पाए। दवा वितरण खिड़की के कर्मचारी जो दवाएं नहीं मिलती हैं उन पर लाल पेन से गोला बना देते हैं। ताकि, मरीज या परिजन बाहर से वो दवाएं खरीद सकें।
मालूम हो कि 15 दिन पहले जूनियर डॉक्टरों ने इन हालातों को देखते हुए अस्पताल में हड़ताल की थी। तब अस्पताल प्रबंधन ने 14 दिन में दवाओं समेत तमाम परेशानियों का समाधान करने का दावा किया था। इसके बाद ही जूडा ने हड़ताल खत्म की थी। लेकिन, समय सीमा बीतने के बाद भी जस के तस हालात हैं। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि आखिर हड़ताल से किसे फायदा हुआ?
बताया गया है कि इन 14 दिनों में नौ हजार लोगों को पूरी दवाएं नहीं मिली हैं। जिम्मेदारों का कहना है कि शासन की ओर रेट कांट्रेक्ट की 360 प्रकार की सभी दवाएं स्टोर में उपलब्ध हैं। लेकिन, डॉक्टर ब्रांड नेम से दवाएं लिखकर देते हैं इस कारण दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। अगर डॉक्टर जेनेरिक दवाएं लिखें तो यह स्थिति नहीं बनेगी।
पीड़ितों का कहना
विदिशा जिले से आए भूरा जाटव ने बताया कि छोटे भाई हेमराज का एक्सीडेंट हो गया था। उसे इलाज के लिए लाए थे। पर्चे पर पांच दवाइयां लिखी गई थीं। दवा काउंटर से तीन ही दी गई हैं। जो बची हैं बाहर से खरीदनी होंगी।
वहीं, रायसेन जिले से आए वीरेंद्र विश्वकर्मा ने बताया किपत्नी मंजू को चक्कर आने की शिकायत थी, यहां भर्ती किया था। 10 दिन बाद छुट्टी हुई है। पांच दवाइयां डॉक्टर ने पर्चे पर लिखी हैं, लेकिन तीन ही मिल पाई हैं।
इधर, इस पूरे मामले में हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आईडी चौरसिया का कहना की दवाइयां का कोई टोटा नहीं हैं। रेट कांट्रेक्ट की 360 प्रकार की दवाएं अब उपलब्ध हैं। लेकिन, डॉक्टर ब्रांड नेम से दवाएं लिखते हैं इस कारण नहीं मिल पाती हैं। डॉक्टरों को लिखा है कि वे जेनेरिक नेम से ही दवाएं लिखें।
जबकि, जूडा अध्यक्ष डॉ. अरविंद मीणा का कहना है कि दवाइयों और जांच के मामले में बहुत ज्यादा सुधार नहीं हुआ हैं। जल्द ही हालात नहीं सुधरे तो फिर बड़ा मूवमेंट किया जाएगा।