कोरोना भागे न भागे, गरीब भगाए जाएंगे, जो किसी ने नहीं किया वह ये करके दिखलायेंगे
रीवा।
शहर के रतहरा तालाब की मेढ़ पर किए गए कब्जे को प्रशासन ने हटाया है। दावा किया गया था कि 68 लोगों की झुग्गियां और कच्चे मकान यहां पर बने हुए थे। प्रशासन की इस कार्रवाई पर किरकिरी हुई तो भाजपा के नेता ठेकेदार और नगर निगम के कर्मचारियों को लेकर मौके पर पहुंचे और गिनती कराई। पता चला है कि तालाब की मेढ़ पर कब्जा करने वालों की संख्या 163 थी। इसमें अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों से आए लोग शामिल हैं। जिनके बारे में अब तक नगर निगम एवं प्रशासन के पास कोई आधिकारिक जानकारी नहीं थी। तालाब की भूमि से कब्जा हटाने से पहले प्रशासन ने इन लोगों की ठीक से गिनती नहीं कराई, जिसकी वजह से कार्रवाई पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। इन कब्जाधारियों का आशियाना तोडऩे के बाद रतहरा में बने प्रधानमंत्री आवास योजना और आइएचएसडीपी योजना के मकानों के नीचे पार्किंग में खाली हिस्से में शिफ्ट किया गया है। वार्ड 15 के पार्षद अशोक पटेल ने बताया कि कब्जा हटाना था इसलिए आश्वासन दिया गया था कि आवास योजना के मकान दिए जाएंगे लेकिन वहां से हटने के बाद से निगम ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है। बताया गया है कि विधायक प्रतिनिधि राजेश पाण्डेय ने ठेकेदार के साथ कुछ लोगों को पांच-पांच हजार रुपए दिया है, अन्य लोगों को नहीं दिए जाने के चलते नाराजगी और बढऩे लगी है।
मकान आवंटन की प्रक्रिया में कई पेंच
नेताओं और नगर निगम के अधिकारियों की ओर से दावा किया जाता रहा है कि मकान आवंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जल्द ही नए मकान में शिफ्ट कर दिए जाएंगे। अब कहा जा रहा है कि स्लम बस्ती की श्रेणी में करीब दो दर्जन लोग ही आते हैं। इसलिए इन्हें दो लाख में मकान दिए जाएंगे, जिसके लिए २० हजार रुपए लोन के लिए जमा करना होगा। वहीं अधिकांश ऐसे हैं जो नान स्लम एरिया से आते हैं, उन्हें 4.75 लाख रुपए का मकान मिलेगा। मौखिक आश्वासन चाहे भले ही दिए गए हैं लेकिन जब तक उक्त राशि नहीं मिलेगा तो बैंक फाइनेंस नहीं होगा।
दोपहर भोजन दिया, सायं कोई नहीं पहुंचा
हटाए गए परिवारों को भोजन देने के लिए दोपहर समाजसेवियों की टीमें पहुंची थी। सायं के भोजन का कोई इंतजाम प्रशासन की ओर से नहीं किया गया। पीडि़त दुअसिया बंसल, संगीता बंसल, ममता बंसल, दुइजी, छोटू बंसल, सुनील बसंल आदि ने बताया कि दोपहर के खाने में ही कुछ हिस्सा बच्चों के लिए बचा लिया था, उसे शाम को खिलाया लेकिन घर के बड़े लोग बिना खाए ही रहे।
जवाब देने से कतरा रहे निगम के अधिकारी
लॉकडाउन में मकान उजाडऩे के आरोप में नगर निगम प्रशासन घिरा हुआ है। भोपाल से भी अधिकारियों को फटकार मिली है। इस मामले में पूर्व सीएम कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, सांसद विवेक तन्खा आदि ने विरोध किया है। जिसके चलते हाइप्रोफाइल मामला होने की वजह से अब निगम के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। आवास योजना के प्रभारी एपी शुक्ला ने बीमारी का हवाला दिया तो उपयंत्री संतोष पाण्डेय ने अनजान बन गए। जोन प्रभारी कौन है इस बात पर भी अफसरों में संशय है। बढ़ते विवाद के चलते आयुक्त अर्पित वर्मा ने भी चुप्पी साध ली है।
माकपा ने कहा निर्ममता की पराकाष्ठा है
रतहरा की घटना पर माक्र्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी ने प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा है कि तुगलक और नीरो जैसा मनोरोग और निर्ममता की पराकाष्ठा है। गरीबों का मकान तोड़कर सड़क पर सामान फेक दिया। बच्चों को लेकर वह भटक रहे हैं। इस पर जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की गई है। माकपा नेता गिरिजेश सिंह सेंगर, रोहित तिवारी, अमित सोहगौरा आदि ने निंदा की है। वहीं जनता दल सेक्युलर के प्रदेश अध्यक्ष शिव सिंह, समाजवादी जन परिषद के अजय खरे सहित अन्य कई नेताओं ने लॉकडाउन में की गई कार्रवाई को गलत बताया है।