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नहीं करेंगे अब कृषि मंत्री या फिर किसी और मंत्री से बात, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को आना होगा आगे:- किसान

नहीं करेंगे अब कृषि मंत्री या फिर किसी और मंत्री से बात, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को आना होगा आगे:- किसान

 नई दिल्ली/गरिमा श्रीवास्तव:- किसान कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन का आज 71वां दिन है किसान लगातार कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं उनकी मांग है कि हर हाल में यह तीनों कृषि कानून खत्म होना चाहिए तो वही सरकार इस बात पर अड़ी है कि वह इस कानून में संशोधन कर सकती है पर कानून को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जाएगा. आज 71 वा दिन है पर सुलह की कोई भी उम्मीद नजर नहीं आ रही है. किसानों ने बुधवार को हरियाणा के जींद जिले के खंडेला गांव में महापंचायत की. इस दौरान किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि अब कृषि मंत्री या फिर किसी और मंत्री से बात नहीं करेंगे अब प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को बातचीत के लिए आगे आना होगा.
 किसान आंदोलन के समर्थन में पिछले 24 घंटे में कई विदेशी हस्तियों ने उनका समर्थन किया.

क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने सोशल मीडिया पर लिखा कि वे भारत में किसानों के आंदोलन के साथ हैं वही पॉप सिंगर रिहाना ने लिखा कि आखिर हम किसान आंदोलन के बारे में चर्चा क्यों नहीं कर रहे हैं.अब सेलिब्रिटी सामने आए तो ऐसे में सेलिब्रिटीज का पलटवार भी होना लाजमी है. पॉप सिंगर रिहाना के ट्वीट पर जवाब देते हुए कंगना रनौत ने लिखा बैठ जाओ मूर्ख हम तुम लोगों की तरह अपना देश नहीं बेच रहे हैं कोई भी इस मुद्दे पर इसलिए बात नहीं कर रहा क्योंकि हिंसा फैला रहे लोग किसान नहीं आतंकी है. वहीं कृषि कानून का समर्थन करने वाले कई अन्य लोगों ने ग्रेटा थनबर्ग और रिहाना के जवाब में यह लिखा कि दरार पैदा करने वालों से बचने की सख्त जरूरत है.
 महापंचायत में टिकैत ने सरकार पर जमकर निशाना साधा,टिकैत ने कहा कि अभी तो कृषि कानूनों की वापसी की मांग कर रहे हैं जब गद्दी वापसी की मांग करेंगे तब यह सरकार क्या करेगी?  जब कोई राजा डरता है तो किलेबंदी का सहारा लेता है ठीक ऐसा ही हो रहा है. बॉर्डर पर जो कील बंदी की गई ऐसे तो दुश्मन के लिए भी नहीं की जाती लेकिन किसान डरेगा नहीं किसान इसके ऊपर लेटेंगे और उसे पार करके जाएंगे.

 राजधानी दिल्ली की तरफ बढ़ते हजारों ट्रैक्टर लाल के पर झंडा फहराते प्रदर्शनकारी और दिल्ली के बॉर्डर पर बिछी नुकीली तारे और कीलें, यह भारत की वह तस्वीर है जिसे अब दुनिया देख रही है. हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना खून बहा कर जिस भारत देश को आजाद कराया था उसी देश में अब हिंसा चरम पर पहुंचती दिखाई दे रही है. विदेशी मीडिया में बॉर्डर की कील बंदी चर्चा का विषय बनी हुई है. विशेषज्ञ तो यह मान रहे हैं कि भारत के किसान आंदोलन ने पीएम मोदी की छवि को प्रभावित किया है. एक समय था जब बीजेपी बहुमत से चुनाव जीता था और सिर्फ भारत में ही नहीं पूरे दुनिया भर में उनकी लोकप्रियता बढ़ी थी, पर किसान आंदोलन के बाद पीएम मोदी के फैसलों को तानाशाही माने जाने लगा है.
 कहीं ना कहीं सरकार की इस बदलती तस्वीर से भारत के लोकतंत्र और अर्थव्यवस्था का इंटरनेशनल स्टेटस भी गिर रहा है. तो अब देखना यह होगा कि आगे आने वाले समय में कृषि कानूनों को लेकर क्या फैसला लिए जा सकते हैं.किसान नेता अब किसी मंत्रियों से बात करने को तैयार नहीं है तो क्या अब प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सामने आएंगे..?

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