"प्रदेश में बेरोज़गारी चरम पर", हर बार की तरह इस बार भी किए थे वादे, नतीजा :करीब डेढ़ करोड़ बेरोज़गार, 90 हज़ार पद खाली
“प्रदेश में बेरोज़गारी चरम पर”, हर बार की तरह इस बार भी किए थे वादे, नतीजा :करीब डेढ़ करोड़ बेरोज़गार, 90 हज़ार पद खाली
भोपाल: बेरोज़गारी बढती जा रही है यह हम कबसे सुनते आ रहे है। मगर यह कहाँ जाकर खत्म होगी इसके बारे में सरकार बात नही करती। आमजन परेशान है पर सरकार ने इन विषयों को नज़रअंदाज़ करने में पीएचडी हासिल कर ली है।
हालात पहले से सुधरने के बजाय बिगड़ते ही जा रहे है। उम्मीद रहती है कि अब कुछ सुधार होगा, अब कुछ अच्छे परिणाम आएंगे परंतु सरकार ने राहत देने के बजाय स्थिति को बत्तर बना रखा है।
प्रदेश के विभिन्न विभागों में 90 हजार से अधिक पद खाली हैं। बहुत सारे विभाग तो ऐसे हैं, जहां चयन के बाद भी उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र नहीं दिए जा रहे।उम्मीदवार नौकरी की आस में विभागों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
प्रदेश की स्थिति होश को उड़ा देने वाली है। पिछले तीन साल से कोई बड़ी भर्ती परीक्षा भी नहीं हुई है। राज्य सरकार के रोजगार पोर्टल पर करीब 35 लाख बेरोजगार रजिस्टर्ड हैं। इनमें 90 फीसदी मप्र के मूल निवासी हैं। निजी एजेंसियों के मुताबिक प्रदेश में करीब डेढ करोड़ बेरोज़गार है।
स्कूल शिक्षा विभाग में वर्ग एक और दो के तीस हजार रिक्त पदों के लिए तीन साल पहले परीक्षा हुई थी। अभ्यर्थी नियुक्ति के लिए भटक रहे है और जिलों में आंदोलन भी कर चुके हैं। इसी तरह वर्ग तीन के फाॅर्म भरवा लिए गए हैं, लेकिन परीक्षा की तारीख ही घोषित नहीं की। तारीख आगे बढ़ाई जा रही है। जानकारी के मुताबिक स्कूल शिक्षा में ही 70 हजार पद खाली हैं।
पुलिस विभाग में पदों के लिए आयु सीमा 33 वर्ष तय की गई थी, लेकिन तीन साल से भर्ती न होने की वजह से करीब तीन लाख उम्मीदवार ओवरएज हो गए। ये भी आयु सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे है। आयु सीमा 37 वर्ष की जाए इसके लिए आंदोलन भी किए गए।
कौशल विकास विभाग में 2018 में डिस्ट्रिक्ट फैसिलिटेटर के पद पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था। उम्मीदवारों का चयन भी हो गया। 2019 में आवेदकों के इंटरव्यू, वेरिफिकेशन भी हो गया। लेकिन नियुक्ति नहीं दी गई। इसमें 102 अभ्यर्थी चयनित हुए थे।
राजस्व विभाग में जून 2018 में काउंसलिंग हुई और करीब 1300 पद रिक्त रह गए थे। लेकिन वेटिंग वालों को मौका नहीं दिया।
मध्यप्रदेश ने 2016 में मध्यप्रदेश रोज़गार बोर्ड का गठन किया था लेकिन 2018 तक ही चल पाया मप्र रोजगार बोर्ड। मेले में करीब तीन हजार आवेदकों ने भाग लिया। इसमें 20 से अधिक कंपनियों ने इंटरव्यू भी लिए।दावा किया कि 1 लाख लोगों को उत्पादन व सर्विस सेक्टर में नौकरी मिली है। हकीकत में इन्हें इंटेट ऑफ लेटर दिए गए थे।
अंत इस आर्टिकल का बेशक हो सकता है परंतु बेरोज़गारी के अंत के आसार दूर दूर तक नही दिख रहे है। यह आंकड़े भयावह स्थिति को साफ दर्शा रहे है।