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क्यों मनाई जाती हे देव उठनी एकादशी जानिए एकादशी का महत्व

राजधानी में हर वर्ष के भाति इस बार भी बड़े हर्ष और उल्लास के साथ देव उठनी एकादशी को मनाया जायेगा। 
राजधानी के भागवताचार्य पंडित ओमप्रकाश शास्त्री जी ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार यह एकादशी 8 नवंबर को है। इस दिन तुलसी विवाह कराने की भी परंपरा है। साथ ही शुभ कार्यों की शुरुवात हो जाती  हैं।

क्या हैं देवउठनी एकादशी का महत्व
शास्त्री जी ने बताया की पुराणों के अनुसार देवश्यनी एकादशी से सभी शुभ कार्य बंद हो जाते हैं उसके बाद देवउठनी एकादशी से पुनः सभी शुभ कार्यो  की शुरुवात होती हैं। देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की एक साथ पूजा करके देव दिवाली भी मनाई जाती है।

सफलता के लिए करना चाहिए तुलसी नामाष्टक का पाठ

वृन्दा वृन्दावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी.
पुष्पसारा नन्दनीच तुलसी कृष्ण जीवनी.
एतभामांष्टक चैव स्तोत्रं नामर्थं संयुतम.
य: पठेत तां च सम्पूज सौश्रमेघ फलंलमेता..

पद्मपुराण के अनुसार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की नवमी को तुलसी विवाह मनाकर एकादशी मनाई जाती हैं। मान्यता अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा बनाकर उनका विवाह तुलसी जी से करवाया जाता है।

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