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बड़ा सवाल! क्या कोरोना संकटकाल के बाद "शिवराज" बचा पाएंगे अपनी सरकार? मंडरा रहा है ये बड़ा खतरा…. 

भोपाल से खाईद जौहर की रिपोर्ट – मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सामने अब कई बड़ी चुनौतिया सामने आ गई हैं। दरअसल, इस समय देश समेत प्रदेश में कोरोना ने कहर बरपाया हुआ हैं। प्रदेश में लगातार कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रहीं हैं। इसके साथ ही देशभर में लागू लॉक डाउन के कारण अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह से ठप हो गई हैं। 

ऐसे में बड़ा सवाल है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या है। कोरोना संकट से निजात, अर्थव्यवस्था को स्थिर करना या फिर कोई और चुनौती शिवराज सिंह चौहान के लिए बड़ी है?

कोरोना से निपटारा 

मध्यप्रदेश में अब तक कोरोना संक्रमितों की संख्या 2052 तक पहुंच चुकी हैं। जबकि कोरोना संक्रमण के कारण अब तक 100 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना के सबसे ज़्यादा मामले अब तक इंदौर और भोपाल से सामने आए हैं। सबसे ज्यादा इंदौर में 1176 हैं तो भोपाल में 380 मामले सामने आ चुके हैं। इसके साथ ही बड़वानी में 24, धार में 35, होशंगाबाद में 29, रायसेन में 25 के अलावा भी अन्य जिलों में इसका कहर बना हुआ हैं। 

अर्थव्यवस्था

लॉक डाउन के चलते देश समेत प्रदेश की अर्थव्यवस्था ठप हो गई हैं। मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती है प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की। हालांकि लॉक डॉउन के बीच सरकार ने गैर संक्रमित जिलों में कामकाज शुरू करने की अनुमति प्रदान कर चुकी हैं। सरकार का मानना है कि ऐसा करने से कही न कही अर्थव्यवस्था में थोड़ी रफ्तार बढ़ेगी। 

सरकार बचाने का काम 

सरकार के लिए तीसरी सबसे बड़ी चुनौती है अपनी सरकार बचाने की। बता दे कि जल्द ही 24 सीटों पर उप चुनाव होंगे। भाजपा के पास अभी 106 सीटें हैं और अपनी सरकार को स्थिर करने के लिए उसे कम से कम 10 सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी। ऐसे में सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में एक चुनौती सरकार को स्थिर रखने की भी हैैं।

दरअसल, कांग्रेस छोड़ने वाली सभी 22 विधायक भाजपा में शामिल हो गए हैं और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दावा किया है कि पार्टी सभी 22 नेताओं को विधानसभा में टिकट देगी। ऐसे में भाजपा को गुटबाजी का भी डर हैं। भाजपा गुटबाजी को खत्म कर 10 सीटों पर जीत दर्जकर अपनी सरकार को स्थाई करना चाहेगी।

गौरतलब है कि अब शिवराज सरकार के सामने ये तीन बड़ी चुनौतियां हैं। ऐसे में अब देखना दिलचस्प हो गया है कि शिवराज सरकार किस पर ज़्यादा ध्यान देगी। 

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