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बैतूल:- विकास गति ने पकड़ी तेजी, कम समय में पहुंच जाएंगे इंदौर

बैतूल:- विकास गति ने पकड़ी तेजी, कम समय में पहुंच जाएंगे इंदौर

बैतूल । कहते हैं विकास और विनाश साथ साथ चलते है,यह  कई बार हमारे सामने आ चुका  हैं । उदाहरण के तौर पर देखें तो भोपाल नागपुर फोर लेन हाईवे, बैतूल से छिंदवाड़ा स्टेट हाईवे आदि अभी लम्बी सड़के  इन  के निर्माण के दौरान कई हैक्टेयर जंगल पूरी तरह साफ हो गया।  जिससे जिले को बड़े पैमाने पर पर्यावरण की क्षति हुई है, हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा बेतूल इंदौर फोरलेन हाईवे का ऑनलाइन भूमि पूजन किया गया है।  आपको यह खबर बेहद अच्छी और सुखद एहसास देने वाली लगती है कि अब आप इंदौर जाने के लिए परेशान नहीं होंगे सब सुगमता और आसानी से मात्र कुछ ही घंटों में आप इंदौर का सफर पूरा कर पाएंगे।  लेकिन दूसरी दुःखद खबर भी है,आपको जानकर ताज्जुब होगा कि इस हाइवे के निर्माण के दौरान जिले के वन क्षेत्र में लगे करीब 9 हजार  हरे भरे पेड़ पूरी तरह काट दिए जाएंगे।  जिसके कारण जिले को  पर्यावरण का तगड़ा नुकसान होगा जिसकी शायद ही कभी भरपाई जिले में हो सके। 

37 हैक्टेयर के जंगल से  कटेंगे 8,914 पेड़ 
जिले की पश्चिम वन मण्डल की गवासेन व सांवलीगढ़ रेंज में लगे 8,914 पेड़ो को पूरी तरह धराशायी कर खत्म किया जाएगा। इन दो रेंज में 37.40 हेक्टेयर में लगा जंगल फोरलेन हाइवे की भेंट चढ़ जाने वाला है।  इसमें सांवलीगढ़ रेंज में 4.50 हैक्टेयर में लगे 375 पेड़ काटे जाएंगे जबकि सबसे ज्यादा गवासेन रेंज का जंगल प्रभावित होगा यहां पर 32.91 हैक्टेयर में लगे 8,539 पेड़ो पर कुल्हाड़ी चलाई जाएंगी। गौरतलब है कि जिले में सबसे ज्यादा घना जंगल गवासेन रेंज का ही माना जाता है। इन दोनों रेंज में मुख्य रूप से सागौन के पेड़ सबसे ज्यादा है,इसके अलावा अन्य इमारती  लकड़ी के साथ ही जलाऊ पेड़ो की बलि नेशनल हाइवे ले लेगा। जिले में चिचोली से हर्रई के बीच के पेड़ मुख्य रूप से काट दिए जाएंगे। यहां पर समय समय पर वन विभाग द्वारा पौधरोपण कर जंगल तैयार किया गया था जो अब एक ही झटके में खत्म होने वाला है। 

वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए बनेगी 9 संरचनायें 
हाइवे निर्माण के पूर्व वन विभाग द्वारा इन क्षेत्रों में रहने वाले वन्य प्राणियों की सुरक्षा व खत्म होने वाले जंगल का आंकलन लगाने हेतु एक सर्वे कराया गया था। डब्ल्यूसीटी यानी वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन ट्रस्ट द्वारा किये गए सर्वे  में यह बात सामने आ चुकी है कि हाइवे निर्माण के दौरान 8,914 पेड़ काटे जाने है। सर्वे टीम द्वारा दी गयी सलाह के अनुसार ही यहां के बिगड़ने वाले जंगल की हरियाली व पर्यावरण को संतुलित किये जाने हेतु आवश्यक कदम वन विभाग द्वारा उठाये जाएंगे। इन क्षेत्र में रहने वाले वन्यप्राणियों का जीवन प्रभावित न हो इसके लिए निर्माण के दौरान 9 संरचना बनाई जाएंगी इनमे से 7 अंडरपास व 2 माइनरब्रिज की तरह होंगी। इनके ऊपर से वाहन गुजरेंगे तथा नीचे से वन्यप्राणियों आसानी से आवागमन कर सकेंगे। सर्वे टीम की सलाह पर ही पहला टोल टेमागांव के पास बनाया जाएगा जिससे वन्यजीव कम प्रभावित होंगे। इन सघन वन क्षेत्र में तेंदुआ, साम्भर,चौसिंगा,भालू,नीलगाय,लकड़बघ्घा, जंगली कुत्ता,चिंकारा, काला हिरण जैसे जीव पाए जाते है,इसके अलावा बाघ का मूवमेंट भी वर्ष में एक बार यहां रहता है।

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