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"AAP" को "सत्ता" पर बैठाने वाले "ऑटो चालाक" नाराज़, बोले "Kejriwal" ने हमें थमाया "लॉलीपॉप"

नई दिल्ली – दिल्ली में विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं। यहां बीजेपी और कांग्रेस को सत्ता में आने के लिए आम आदमी पार्टी से कड़ी लड़ाई लड़नी होगी। राज्य में आम आदमी पार्टी ने आम जनता के लिए बहुत से काम किये। लेकिन इसी बीच केजरीवाल सरकार के प्रति ऑटो चालकों की नाराज़गी सामने आई हैं। ये वही ऑटो चालक है जिन्होंने आज से पांच साल पहले आम आदमी पार्टी को सत्ता दिलाने में काफी अहम भूमिका निभाई थी। 

हालही में दैनिक भास्कर द्वारा एक सर्वे किया गया। जिसमे पाया गया की इस बार ऑटो चालक केजरीवाल सरकार से नाराज़ हैं। भास्कर के इस सर्वे में ऑटो चालकों से आप और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रति नजरिया क्या है? पांच साल में उन्हें क्या मिला? क्या केजरीवाल सरकार ने उनकी मांगें या वादे पूरे किए? इस को लेकर सवाल किये गए। जिसपर ऑटो चालकों ने कुछ इस प्रकार जवाब दिए। 

एक ऑटो चालाक ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि “सरकार तो आप की ही बनेगी। लेकिन, केजरीवाल ने ऑटो वालों को लॉलीपॉप थमा दिया। साढ़े चार साल कुछ नहीं किया। चुनाव के 6 महीने पहले पासिंग का सालाना शुल्क माफ कर दिया। ऑटो चालाक ने कहा कि महिलाओं के लिए सफर मुफ्त कर दिया। इन बातों का सबसे बड़ा नुकसान हम ऑटो वालों को हुआ। हालांकि, बिजली-पानी फ्री करके केजरीवाल सरकार ने अच्छा काम किया हैं। 

जबकि एक अन्य ऑटो चालाक ने कहा कि “कुछ समय पहले फिटनेस पास करने के चार्ज को फ्री करने का वादा किया, लेकिन कुछ हुआ नहीं। लंबी सवारी (ज्यादा दूरी वाली)- ओला और छोटी सवारी ई-रिक्शा ले गए। बस महिलाओं के लिए फ्री हो गई। अब ऑटो में जाने वाला कौन बचा?

वहीं, एक दूसरे ऑटो चालाक से जब पूछा गया कि ‘आप’ से आप क्या चाहते थे? जवाब में तंज था। ऑटो चालाक ने कह “हम अलग से कुछ नहीं चाहते थे। लेकिन, धंधा तो खत्म नहीं कर सकते थे। सरकार ने ऑटो का प्रति-किलोमीटर किराया 8.30 से 9.30 रुपए कर दिया। ओला-उबर का 8 रुपए के करीब है। उनका किराया कम और हमारा ज्यादा हैं। जाहिर है, लोग ओला-उबर को ही तवज्जो देंगे। 

मोदी और केजरीवाल में कौन बेहतर है? इस सवाल पर ऑटो चालाक ने कहा कि “मोदी ने गांव वाले घर पर टॉयलेट बनवा दिया। लेकिन वो दिल्ली में नहीं हैं। यहां तो केजरीवाल ही हैं।” जब पूछा गया कि दिन भर में कितना कमा लेते हो? इस पर जवाब मिला कि पहले के मुकाबले 50 फीसदी भी नहीं। कहीं भी ऑटो रोको तो पुलिस फोटो खींचकर चालान बना देती है। लावारिसों में गिनती होती है हम लोगों की।

केजरीवाल सरकार के प्रति ऑटो चालकों की ये नाराज़गी एक बड़ा सवाल पैदा कर रहीं हैं। ऐसे में क्या ये ऑटो चालक केजरीवाल सरकार को वोट देंगे या नहीं ये तो समय ही बताएगा। वहीं, केजरीवाल सरकार इन ऑटो चालकों के लिए क्या करती है ये भी देखने वाली बात होगी। बरहाल 8 फरवरी को वोट डाले जाने है जबकि 11 को इसके नतीजे आएंगे।

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