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जबलपुर बना हिंसा का गढ़, दो बार हुआ बवाल, क्या प्रशासन का है इसमें कोई हाथ?

मध्यप्रदेश/जबलपुर – नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश समेत प्रदेश में बवाल मचा हुआ हैं। एक पक्ष जहां इसका समर्थन कर रहा है वही दूसरा पक्ष इसके विरोध में हैं। हालंकि इस कानून का समर्थन कम विरोध ज़्यादा देखा जा रहा हैं। बता दे कि इस कानून को लेकर पूरे मध्यप्रदेश में विरोध-प्रदर्शन का दौर जारी हैं। 

इस कानून का सबसे ज़्यादा विरोध मध्यप्रदेश के जबलपुर में देखा गया हैं। यहां दो बार भयानक बवाल हो चुका हैं। जिस पर कई सवाल उठ रहे हैं कि आखिर सीएए पर जबलपुर में जंग क्यों? बता दे कि 20 दिसंबर 2019 को जबलपुर सीएए को लेकर प्रदर्शन के दौरान जबरदस्त बवाल हुआ था। प्रदर्शनकारियों ने जमकर पथराव किया और कई गाड़ियों को फूंक दिया। इसके बाद चार थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लागू कर दिया गया। पुलिस ने प्रदर्शन में शामिल कई लोगों को गिरफ्तार भी किया।

इस विरोध प्रदर्शन के बाद जैसे तैसे हालात सामान्य हुए थे कि गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी के दिन एक बार फिर से माहौल खराब हो गया। समर्थन में तिरंगा यात्रा निकाल रहे लोगों पर विरोध कर रहे लोगों ने पथराव शुरू कर दिया। लेकिन पुलिस ने मुस्तैदी के साथ स्थिति को नियंत्रित किया। इस घटना में कई लोग जख्मी हुए हैं।

अब तक जबलपुर में सीएए के नाम पर दो बार बवाल हो चुका हैं। लेकिन सवाल है कि आखिर कौन यहां के सांप्रदायिक सौहार्द को खराब करने की कोशिश में जुटा हैं। साथ ही पहली घटना के आरोपियों की जब पहचान हो गई है तो उनकी गिरफ्तारी अब तक क्यों नहीं हुई। कहीं न कहीं प्रशासन की भूमिका भी दोनों ही मामलों में सवालों के घेरे में हैं। 

ऐसे में सवाल है कि शहर में सीएए को लेकर माहौल लगातार तनावपूर्ण हैं तो फिर प्रशासन उन इलाकों से रैलियां क्यों निकलने दे रही हैं। आखिरी वैसे लोगों को चिह्नित कर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही हैं?

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