मध्यप्रदेश में अस्पताल की हालत चौपट, कौन है ज़िम्मेंदार “शिवराज के 15 साल या कमलनाथ के 1 साल”
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मध्यप्रदेश में अस्पताल की हालत चौपट, कौन है ज़िम्मेंदार “शिवराज के 15 साल या कमलनाथ के 1 साल”
- मोबाइल टॉर्च और मोमबत्ती की रोशनी में अस्पताल
- महिलाओं को नसबंदी के बाद मिला बेड की जगह फर्श
- सरकार का नही अस्पताल प्रशासन पर कोई ध्यान
सरकारी आंकड़ों के हिसाब से देश-प्रदेश में सबकुछ अच्छा होता है लेकिन क्या ज़मीनीं स्तर पर ये सच होता है ये बात किसी सी छुपी नही है क्योंकि सरकारी तौर पर सब कुछ अच्छा होने के बावजूद सारी परेशानियों का सामना आम जनता को ही भोगना पड़ता है ऐसा ही एक मामला प्रदेश के सतना के पास बिरसिंहपुर सामुदायिक स्वास्थय केंद्र से सामने आया हैं. जहां पर मोबाइल टॉर्च और मोमबत्ती की रोशनी में कथित तौर पर 35 महिलाओं की नसबंदी की गई, और ऑपरेशन के बाद मरीज़ों को फर्श पर ही लिटाने का भी आरोप परिजनों ने लगाया है. इतना ही नही ऑपरेशन भी शुरू हुआ तो अंधेरा होने के बाद. अस्पताल में ना तो पर्याप्त बेड थे ना ही कंबल और ना ही बिजली का सही इंतज़ाम. बिजली जाने के बाद अस्पताल में जनरेटर भी चालू हालत में नहीं था.
बता दें कि हाल ही में विदिशा ज़िले में 41 महिलाओं को ऑपरेशन के बाद अस्पताल के फर्श पर लिटाने का मामला सामने आया था जिसके बाद छतरपुर और फरवरी में कटनी ज़िले में भी इस तरह का मामला सामने आ चुका है.जब एक के बाद एक इन 4 ज़िलों में ऐसे मामलें सामने आ चुके है तो प्रदेश के बॉकी ज़िलों की हालत कैसी होगी इसका अंदाज़ा बखूबी लगाया जा सकता है.साथ ही सरकार इस ओर किसी कड़ें कदम लेने को तैयार क्यों नही हो पा रही है ?, क्या आम जनता के परेशानियां सरकार को दिखाई नही देती या सरकार इस ओर ध्यान नही देना चाहती है ?. अब सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि मध्य प्रदेश की वर्तमान स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी लचर हो चुकी है कि हर जिले में इस कदर इलाज होना लाज़मी हो चला है बाकी सरकार की दृष्टि में तो उन्नत मध्यप्रदेश बन चुका है सरकार की कथनी और करनी में फर्क देखते जाइए,और आम जनता इन परेशानियों से कब तक उभर पाएगी इसका भी सिर्फ इंतजार ही किया जा सकता है