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तंबाकु और बादाम में नहीं कोई अंतर, सुपारी तो पिस्ता-अखरोट को भी कर रही फेल

भोपाल डेस्क 

तंबाकू, पान-मसाला और बीडी-सिगरेट की लत के शिकार लोगों के बारे में कहा जाता है कि चाहे किसी भी कीमत पर ये चीजें मिलें, वे लेकर खाने को आतुर रहते हैं। Corona Virus और लॉकडाउन के दौर में यह बात सही साबित भी हो रही है। तंबाकू बादाम से भी महंगी मिल रही, जबकि सुपारी के दाम अखरोट-पिस्ता से भी अधिक हैं। इनकी लत के शिकार लोग 10-20 गुना ज्यादा कीमत चुकाने के लिए घरों से बाहर निकलने का जोखिम भी उठा रहे हैं। कई लोग पुलिस की गिरफ्त में भी आए, लेकिन लत है कि फिर बाहर निकलने पर मजबूर कर देती है।

लॉकडाउन में लोग जितने भूख से परेशान नहीं, उससे ज्यादा तंबाकूके अभाव में बेचैन हैं। गुहार लगाने के बाद पुलिस-प्रशासन और समाजसेवियों से रोटी तो मिल जाती है, लेकिन तंबाकू नहीं मिलती। एक पान दुकान संचालक के मुताबिक 200 रुपये किलो मिलने वाली तंबाकू 1100 रुपये किलो मिल रही है। 20 रुपये किलो का चूना 300 रुपये किलो और 300 रुपये किलो की सुपारी 1500 रुपये किलो में भी नहीं मिल रही। 20 हजार रुपये में मिलने वाला गुटखे का कार्टन 60 हजार में बिक रहा है।

व्यवसायी के मुताबिक सवाल ज्यादा भाव का नहीं, बल्कि यह है कि इसके बाद भी मिल जाए तो समझिए आपकी किस्मत अच्छी है। अभिषेक के मुताबिक बाजार में कालाबाजारी शुरू हो गई है। लॉकडाउन के वक्त जिनकी दुकान में माल भरा था, उन्होंने चोरी-छिपे ऊंचे दामों पर इसे बेचना शुरू कर दिया। हालांकि अब तो शहर की अधिकतर दुकानें खाली हो चुकी हैं। ऊंचे दाम देने के बाद भी गुटखा, तंबाकू, सुपारी नहीं मिल रही है। असली मुसीबत तो बीड़ी-सिगरेट वालों की है। 10 गुना ज्यादा दाम देने के बाद भी उन्हें नहीं मिल पा रही हैं।

तंबाकू-सुपारी का सारा कारोबार सियागंज से होता है। थोक कारोबारियों ने रात में गोदामों से माल निकालना शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक कारोबारी पुलिस से सांठगांठ कर एंबुलेंस और इमरजेंसी वाहनों से कार्टन व बोरों में माल भरकर छोटे दुकानदारों तक पहुंचा रहे हैं। डिलिवरी के पहले उनसे रुपये जमा करवा लेते हैं। टीआइ तहजीब काजी के मुताबिक हमने पिछले दिनों जिन लोगों को कर्फ्यू उल्लंघन के आरोप में पकड़ा, उनमें कई ऐसे थे जो मादक पदार्थ खरीदने की फिराक में घरों से निकले थे। कुछ लोग मादक पदार्थों की कालाबाजारी कर रहे थे।

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