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द लोकनीति की खबर का असर, तकनीकी विभाग के अतिथि शिक्षकों को मिलेगा फिक्स मानदेय, ये मांग भी हुई पूरी

 

द लोकनीति की खबर का असर, तकनीकी विभाग के अतिथि शिक्षकों को मिलेगा फिक्स मानदेय, ये मांग भी हुई पूरी

 

 

  •  द लोकनीति की खबर का हुआ असर
  •  तकनीकी विभाग के अतिथि शिक्षकों को मिलेगा ₹30000 फिक्स मानदेय
  •  महाविद्यालयों में 11 महीने के लिए अतिथि शिक्षकों की भर्ती
  •  अतिथि शिक्षकों की मांगों पर कैबिनेट ने दी मंजूरी 

 भोपाल/गरिमा श्रीवास्तव:- मध्यप्रदेश में तकनीकी विभाग के अतिथि शिक्षक लंबे समय से अपनी कालखंड को लेकर परेशान थे. द लोकनीति द्वारा लगातार तकनीकी विभाग के अतिथि शिक्षकों का मुद्दा उठाया गया,जिसके बाद द लोकनीति की खबर का असर हुआ है.

 स्व शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालयों और स्व शासकीय शासकीय पॉलिटेक्निक महाविद्यालय में 11 महीने के लिए अतिथि शिक्षकों की भर्ती, मासिक मानदेय ₹30000 करने का निर्णय लिया गया है.

 कैबिनेट में इसकी मुहर लग गई है.

 पूर्व में लगातार तकनीकी विभाग के अतिथि शिक्षक इस वजह से परेशान थे क्योंकि उच्च शिक्षा में अतिथि शिक्षकों का मानदेय फिक्स है लेकिन तकनीकी अतिथि शिक्षकों को फिक्स मानदेय नहीं मिल रहा था.

जिसके बाद विभिन्न सरकारी पॉलिटेक्निक आईटीआई और टेक्निकल कॉलेजों में पढ़ाने वाले अतिथि शिक्षकों ने फिक्स वेतन दिए जाने की मांग की थी.. बताते चलें कि तकनीकी अतिथि शिक्षकों को सिर्फ ₹400 प्रति पीरियड के हिसाब से मिलते थे.इस तरह से महीने में औसतन सिर्फ 15000 से ₹16000 ही मिल पाते थे.कई बार ऐसी स्थिति आती थी कि उन्हें एक भी क्लास नहीं मिलता था.तकनीकी अतिथि शिक्षक वर्षों से तकनीकी छात्रों को पढ़ा रहे हैं लेकिन इन सब के बावजूद भी इनका मानदेय फिक्स नहीं था.बताते चलें कि टेक्निकल ग्रेजुएशन का कोर्स 4 साल का होता है जबकि non-technical का कोर्स 3 साल का इसी के साथ टेक्निकल एजुकेशन में अपेक्षाकृत अधिक खर्च होता है लेकिन अतिथि शिक्षकों को वेतन बहुत ही कम दिया जाता था. तकनीकी अतिथि शिक्षकों के मुताबिक यह जानकारी भी मिली कि 2 साल से किसी भी तरह की बढ़ोतरी नहीं हुई थी.

 पर अब कैबिनेट में इन्हें फिक्स मानदेय मिलने को लेकर मुहर लग चुकी है. तकनीकी विभाग किस के अतिथि शिक्षकों के चेहरे पर खुशी की लहर साफ नजर आ रही..

प्रांतीय तकनीकी अतिथि एवं संविदा प्राध्यापक महासंघ के आशीष खरे ने बताया था कि तकनीकी अतिथि शिक्षकों को अवकाश का दिन होने या कम पीरियड लगने की वजह से उन्हें निश्चित राशि नहीं मिल पाती थी.हर साल मुश्किल से वह 7-8 महीने ही पढ़ा पाते थे.क्योंकि यहां पर सेमेस्टर सिस्टम है.

 इस संबंध में लगातार अतिथि शिक्षक ज्ञापन सौंप रहे थे सरकार से मांग कर रहे थे जिसके बाद अब उनकी मांगे पूरी की गई है.

 इसी तरह से द लोकनीति लगातार उन सभी लोगों का मुद्दा उठाते रहेगा जिनकी आवाज़ सरकार के कानों तक नहीं पहुंचा.

 द लोकनीति ने उठाया था मुद्दा :-

https://youtu.be/aMxRMpnnInk

 

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