स्थिति साफ़, महंगा ही रहेगा "पेट्रोल-डीज़ल", नहीं लाया जाएगा "GST" के दायरे में….होगा सरकारों को नुकसान
- जीएसटी काउंसिल की बैठक में बड़ा फ़ैसला
- पेट्रोल-डीज़ल को GST के दायरे में लेन का कोई विचार नहीं
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कही ये बड़ी बात
- बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी किया इसका विरोध
नई दिल्ली : शुक्रवार को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद इस अटकलों पर विराम लग गया की पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा। दरअसल, बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया की – “पेट्रोल और डीजल को अभी जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार करने का यह सही समय नहीं है। रेवेन्यू से जुड़े कई मुद्दों पर इसके लिए विचार करना होगा। बैठक के दौरान इन पर चर्चा नहीं हुई।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि केरल हाईकोर्ट के आदेश की वजह से इस पर चर्चा की गई थी, लेकिन कुछ सदस्यों ने कहा कि वो यह नहीं चाहते हैं। इसके बाद जीएसटी काउंसिल ने फैसला किया कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का अभी वक्त नहीं है।
इधर, बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा के सदस्य सुशील कुमार मोदी ने भी पेट्रोल-डीज़ल को जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध जताया। उन्होंने कोरोना और लॉकडाउन की तरफ इशारा करते हुए कहा कि 60 करोड़ लोगों के टीकाकरण, 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन और अर्थव्यवस्था को कुछ बड़े राहत पैकेज देने जैसे फैसलों से राजस्व संसाधन पर जो दबाव बढ़ा, उसे ध्यान में रखते हुए पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का विचार टालना ही उचित होगा।
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि यदि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया गया, तो इन वस्तुओं पर कर 75 से घटाकर 28 फीसद करना पड़ेगा। इससे केंद्र और राज्य सरकारों को 4.10 लाख करोड़ के राजस्व से वंचित होना पड़ेगा। इसमें डीजल से 1.10 लाख करोड़ और पेट्रोल से 3 लाख करोड़ की राजस्व हानि होगी। कोविड काल में सरकार इतनी बड़ी राशि की भरपाई नहीं कर पाएगी, जिससे विकास कार्य प्रभावित होंगे।