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सिहोरा : SBI उड़ा रहा RBI के नियमों की धज्जियां,बुज़ुर्ग महिला से 500 के नोट नहीं ले रहा बैंक ,देखें video

सिहोरा : SBI उड़ा रहा RBI के नियमों की धज्जियां,बुज़ुर्ग महिला से 500 के नोट नहीं ले रहा बैंक 

  •  SBI सिहोरा बैंक का मामला ,भारतीय मुद्रा का अपमान कर रहा स्थानीय बैंक
  • बैंक ने बुज़ुर्ग महिला के 500 के नोटों को जमा करने से किया मना 
  • बुज़ुर्ग महिला का इकलौता सहारा उसका बेटा जिसका दुर्घटना में चला गया एक पैर
  • अपने बेटे के इलाज़ के लिए भेजना चाहती है पैसा
  • बैंक की मनमानी कहीं अम्मा को न पड़ जाए भारी

देखें video – https://www.facebook.com/111571187006513/posts/223942429102721/?sfnsn=wiwspwa

द लोकनीति डेस्क सिहोरा
शशांक तिवारी की विशेष रिपोर्ट

8 नवंबर 2016 की रात आप कैसे भूल सकते है?? जी हां नोटबंदी (demonetisation)
जब अचानक देश के PM मोदी TV में दिखाई देते है और पूरे देश को अगले दिन से लाइन में खड़ा होना था…. और पूरे 6 महीने तक यह चलता रहा…..

आठ नवंबर, 2016 की रात आठ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के संबोधन में अप्रत्याशित रूप से उच्च मूल्य वर्ग के 500 एवं 1000 रुपये के करेंसी नोट को प्रचलन से बाहर करते हुए उनके लीगल टेंडर (वैध मुद्रा) नहीं होने की घोषणा की। नोटबंदी को ही विमुद्रीकरण कहा जाता है। नोटबंदी या विमुद्रीकरण का अर्थ है किसी भी देश में सरकार द्वारा बड़े मूल्य के नोटों को बंद करना या उनके प्रयोग पर प्रतिबंध लगाना जिससे वे किसी भी काम के नही रहते। न ही उनसे कोई लेन देन किया जा सकता है, न ही कुछ खरीदा जा सकता है।

आज का मामला भी नोटबंदी से जुड़ा हुआ है
दरअसल ताज़ा मामला मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले का है जहां सिहोरा तहसील के SBI बैंक में खाताधारी सुशीला पांडे नामक एक बुज़ुर्ग महिला जो अपने इकलौते बच्चे के इलाज़ के लिए खाते में 7000 रूपये जमा करने आती है, लेकिन SBI बैंक के कर्मचारी और उनके मैनेजर उनके 500 के पूरे 14 नोटों को काफ़ी पुराना और दीमक भरा बताने लगते है और कहते है “अम्मा आपके नोट न जमा किए जा सकते है न बदले जा सकते है ये ख़राब हो गए है इन्हे आप फ़ेक दे “….अब ये कोई मतलब के नहीं है इसमें दीमक लग गई है।
ये सब कहना एसबीआई बैंक मैनेजर सिहोरा का था जिन्होंने ये भी कहा कि हमारे बाक़ी नोट खराब हो जाएंगे इसलिए हम इन नोटों को नहीं ले सकते ….आप घर चले जाओ हम आपकी कोई मदद नहीं कर सकते …

उधर SBI बैंक बताता रहा नियम कानून, इधर बुज़ुर्ग महिला रोती बिलखती रही लेकिन उसकी मदद के लिए कोई नहीं आया आगे

बुज़ुर्ग महिला ने बताया कि उसका एकलौता बेटे गोवा में रहता है जहां उसका ऐक्सिडेंट हो गया है, उसका एक पैर भी कट गया है,अपने बेटे के इलाज़ के लिए उसे अचानक पैसे भेजने पड़ रहे है । वह रोज़ाना सिहोरा सिविल कोर्ट स्थित शनि मंदिर में भीख मांगने का काम करती है..अभी तक मैंने जितने भी पैसे जोड़े थे मैं उसे ही भिजवा रही हूं जिसके लिए मैं अभी तक जिंदा हूं वरना इस दुनिया में मेरा कोई सहारा नहीं है…. लेकिन SBI बैंक के इस कृत्य से मुझे बहुत दुख पहुंचा है , मै पूरी तरह टूट चुकीं हूं.. क्या मैंने नोटों को ख़ुद बनाया है?? यह तो मुझे मोदी जी ने पुराने नोटों के बदले नए नोट दिए थे… तभी से मैंने इसे सुरक्षित रखें थे अब इसमें दीमक कहा से लग गई …. मुझे भी नहीं मालुम… लेकिन SBI बैंक भी मुंह देखकर काम करता है…

. साहब मैं अत्यंत ग़रीब महिला हूं इसलिए मेरे साथ ये किया जा रहा है… वरना आप बताओ कोई अमीर आदमी होता तो हर नोटों की गड्डियों में चार पांच ऐसे ही नोट चला देता और बैंक चूं भी नहीं करता लेकीन इस देश में सारे नियम और कानून केवल ग़रीब और मध्यमवर्गीय लोगों के लिए है…???

बड़ा सवाल- वाकई बुज़ुर्ग अम्मा ने जो कहा एकदम सत्य है सारे नियम और क़ानून इस देश में ग़रीब और मध्यमवर्गीय लोगों के लिए है..
क्यों नहीं बदल सकते नोट ?? SBI के जिम्मेदार ज़वाब दे….

RBI की जानकारी में
 क्योंकि यदि आरबीआई की गाइडलाइन पर नज़र डालें तो आरबीआई कहता है कि आप किसी भी नज़दीक बैंक से नोट आप आसानी से बदल सकते है लेकिन 5000 से ज्यादा नहीं ,नोट में सीरियल नंबर सही होना चाहिए, नोट में हरी पट्टी सही दिखना ज़रूरी है….


तो यदि आप अम्मा के नोटों में नज़र डालें तो उनमें सब सही दिखेगा बस थोड़ा किनारे में दीमक लगी हुई नज़र आ रही है….

हाल ही में सिहोरा के गोसलपुर एसबीआई बैंक का एक और मामला सामने आया था जिसमें  बैंक कर्मचारी भारतीय मुद्रा चिल्लर पैसे लेने से मना कर रहे थे। स्थानीय अधिकारी और प्रशासन को यह अब देखना चाहिए कि भारतीय मुद्रा का अपमान बैंक कर्मचारी और व्यापारी कब तक करते रहेंगे… और आम नागरिक और बुज़ुर्ग अम्मा जैसे हजारों लोग देश के कोनों कोनों से रोजाना लगातार परेशान हो रहें है।

हम देश के नागरिक है यदि हम अपने आसपास ऐसी कोई भी घटना ऐसी देखते है तो तुरंत लोगों को जागरुक करें और ऐसे लोगों की मदद करें…. यह घटना मुझे कोई पत्रकारिता के चश्में से नज़र नहीं आती क्योंकि मैंने ख़ुद यह घटना अपने सामने देखी और बैंक की लाइन में खड़ा हुआ होने के वाबजूद मैंने इस महिला की मदद करने का साहस जुटा पाया …. आप भी करें…..

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