श्योपुर: आदिवासी जिले में 27 हजार बच्चे हुए कुपोषण का शिकार, सरकार कर रही करोड़ों रुपये खर्च लेकिन नहीं हुआ कोई बदलाव
- जिले में 81 हजार 816 बच्चे आंगनबाड़ी केंद्रों में हैं दर्ज
- सरकार कर रही करोड़ों खर्च लेकिन हालात ख़राब के ख़राब ही
- हर साल अनगिनत कुपोषित बच्चों की हो रही है मौत
श्योपुर/निशा चौकसे:- मध्यप्रदेश में इन दिनों नई-नई बीमारियों के लक्षण सामने आ रहें हैं. पहले कोरोना ने पुरे देश भर में आतंक मचा रखा रहा था, उसके बाद डेंगू का कहर जिससे कई लोगों ने अपनी जान गवा दी. हाल ही में एमपी के श्योपुर जिले से कुपोषित बच्चों का मामला सामने आया है. जहां 27 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषण का शिकार हो गए हैं जो कि एक बहुत ही गंभीर समस्या है. बता दें कि आदिवासी बहुल जिला में मिले हैं ये कुपोषित बच्चे, यहां कुपोषण खत्म करने के लिए सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है लेकिन नतीजा शुन्य है. हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. हर साल अनगिनत कुपोषित बच्चों की मौत हो रही है.
ये है स्थिति
सरकार कुपोषण मिटाने के लिए आदिवासी समाज की मुखिया महिलाओं को पोषण आहार के अलावा हर महीने एक-एक हजार रुपये की राशि खाना पकाने के लिए दे रही है. साथ ही महिला एवं बाल विकास विभाग से लेकर कलेक्टर तक की जिम्मेदारी इसकी मॉनिरिंग करने की है. लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकल रहा हालात वैसे ही हैं. जिले के अलग-अलग इलाकों से अति कुपोषित बच्चे NRC लाए जा रहे हैं. उन्हें देखकर हर कोई सिस्टम पर सवाल उठा रहा है. जिले भर में 81 हजार 816 बच्चे आंगनबाड़ी केंद्रों में दर्ज हैं. इनमें 27 हजार से ज्यादा कुपोषित हैं. 5 हजार से ज्यादा गंभीर कुपोषित हैं. महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़ों की अगर बात की जाए तो सामान्य पोषण स्तर वाले 69 हजार 738 बच्चे हैं. इनमें से 1920 मध्यम गम्भीर और 326 अति गम्भीर कुपोषित बच्चे हैं. यह हालात मौजूदा स्थिति में हैं. इन हालातों को देखा सरकार कि व्यवस्थाओं पर सवाल उठया जा रहा है, साथ उस जगह देख-रेख करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों पर भी लोगों का गुस्सा भड़का हुआ है.