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सिवनी : ढाई माह से ज्यादा बीते, कर्तव्यहीन स्टॉफ नर्स पर कार्यवाही क्यों नहीं?

सिवनी से महेंद्र सिंध नायक की रिपोर्ट – एक ओर सरकार जहां मातृ और शिशु मृत्यु दर कम करने के सैकड़ों प्रयास कर रही है, कि इन मामलों में कमी आये पर सिवनी जिले के स्वास्थ्य विभाग में ऐसे लापरवाह, कर्तव्यहीन कर्मचारी हैं जो अपनी उदासीनता के चलते माता और शिशु को मौत के मुंह में धकेल रहे हैं। घोर आश्चर्य इस बात का है, शिशु अथवा प्रसूता की मौतों के मामले उजागर होने के बाद भी ऐसे लापरवाह स्वास्थ्य कर्मियों पर कोई कार्यवाही नहीं होती। कार्यवाही न होने से जहां पीड़ित न्याय को तरस रहे हैं, वहीं लापरवाह स्वास्थ्य कर्मियों की कर्तव्यहीनता चरम पर है। लिखित शिकायती आवेदन हो या सीएम हेल्पलाइन शिकायतें हों, उच्चाधिकारियों की अनदेखी के चलते कोई कार्यवाही नहीं होतीं।

घटनाक्रम सिवनी जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धूमा का है। जहां विगत 9 जुलाई को प्रथम बार की प्रसव पीड़िता सन्तनगर धूमा निवासी पूजा पति हर्षित तिवारी को रात्रि आठ बजे प्रसव हेतु लाया गया था। यहां ड्यूटी पर उपस्थित स्टॉफ नर्स माधुरी गोपाले ने नव प्रसूता की स्थिति को अनदेखा करते हुए कर्तव्यहीनता से न उच्च चिकित्सालय रेफर किया, ना ही स्वयं की निगरानी में स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती किया। इसकी जगह लापरवाही करते हुए परिजनों को प्रसूता को घर ले जाने की घातक सलाह दी। कोरोना संकट के चलते निजी वाहन की व्यवस्था न होने से विवश परिजनों ने प्रसूता को अन्य चिकित्सालय न ले जा पाने पर घर लेकर गये। सुबह 5 बजे पुन: प्रसव पीड़ा होने पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धूमा लेकर आये। उक्त नर्स ने उस समय भी न जाँच की ना ही रेफर किया, बल्कि सुबह 8 बजे आने वाली अन्य नर्स का इन्तज़ार करने को कहा।

इस अवधि में प्रसव पीड़िता की स्थिति और भी चिन्तनीय हो गई। सुबह 8 बजे आई नर्स रजनी सरयाम ने प्राथमिक निरीक्षण के बाद गम्भीर स्थिति के आधार पर तत्काल ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लखनादौन के लिए रेफर कर दिया। लखनादौन में भी निरीक्षण उपरान्त जिला चिकित्सालय सिवनी रेफर किया गया। सिवनी में जाँच उपरान्त पता चला कि प्रसूता के गर्भ में पानी की अत्यधिक कमी हो जाने के कारण शिशु की गर्भ में ही मौत हो चुकी है। इसके बाद जिला चिकित्सालय की अनुभवी नर्सों ने किसी तरह सामान्य प्रसव कराके मृत कन्या शिशु को निकाला और प्रसूता के प्राणों की रक्षा की। जिला चिकित्सालय में यह पता चला कि यदि समय रहते नव प्रसूता यहां आ जाती तो बच्चे की जान बच सकती थी।

इस घटना को “द लोकनीति” एवं “नवभारत” ने अपने अंकों में प्रमुखता से उठाया था, परन्तु सिवनी स्वास्थ्य विभाग ने इसकी अनदेखी कर मामले पर संज्ञान नहीं लिया। पीड़ित महिला के पति हर्षित तिवारी ने न्याय की आस लेकर एक लिखित शिकायती आवेदन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ केसी मेश्राम सिवनी को दिया, पर कोई कार्यवाही नहीं हो सकी। यही नहीं सीएम हेल्पलाइन पर क्रमांक 11751026 अन्तर्गत कार्यवाही की मांग को लेकर शिकायत दर्ज की गई, पर इस पर भी लीपापोती कर मामले पर संज्ञान नहीं लिया गया। बीएमओ लखनादौन डॉ सोलंकी से इस विषय पर बात की गई तो उन्होंने कार्यवाही का अधिकार सीएमएचओ के पास होने की बात कही।

वहीं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सिवनी डॉ केसी मेश्राम जी से लगातार सम्पर्क करने पर जाँच कराने की बात कही गई है, लेकिन न जाँच शुरू हुई न कार्यवाही हो पायी। विभागीय संरक्षण के चलते ऐसे लापरवाह व कर्तव्यहीन कर्मचारियों के हौसले बुलंद हैं और इनकी लापरवाही यथावत है। इनके इस उदासीन रवैए से निर्दोषों के प्राणों पर संकट लगातार बना हुआ है। अगर अब भी सिवनी जिले का स्वास्थ्य विभाग इस पर अनदेखी करता है, तो पुनः ऐसे अप्रिय समाचार देखने सुनने को मिलेंगे।

इनका कहना है:-

“लखनादौन बीएमओ को जाँच के लिए कह देते हैं। वो बीमार पड़ गये थे, इसलिए जाँच नहीं हुई।”

डॉ. केसी मेश्राम (मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सिवनी)

“मेरे आवेदन पर अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। मैंने अपने बच्चे को किसी की लापरवाही के कारण खोया है, मैं न्याय पाने की हर कोशिश करूंगा।”

हर्षित तिवारी (पीड़िता का पति)

 

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