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कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के दावों की पोल खोलती यह रिपोर्ट, कोई स्क्रीनिंग कोई चेकिंग नहीं, आया तो देखा जाएगा

मध्य प्रदेश  सरकार लाख दावे कर रही है कि कोरोना संक्रमण रोकने के लिए सरकार तत्पर है। लेकिन उनकी तत्परता किस हद तक  सही है ,आज मैं आपको बताने जा रहा हूं। मेरे एक मित्र जिनका नाम खिलाडी भैया (परिवर्तित) है वह कल ही भोपाल से रीवा की ओर एक चार पहिया वाहन लेकर निकले हैं। इस यात्रा की कहानी इतनी रोचक है कि आप सुनकर ही अंदाजा लगा लेंगे की मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए कितनी उतावली है।

ई-पास इतनी आसानी से थोड़ी ना मिलता है
पहले तो खिलाड़ी भैया 1 दिन हमको फोन किए। बात तकरीबन 1 हफ्ते पुरानी होगी। फोन पर उन्होंने कहा कि उनको घर जाना है और ई-पास के लिए अप्लाई कहां से होगा यह बताएं। मैंने उनको बताया कि मध्यप्रदेश सरकार ने अपनी साइट बना रखी है । आप उस पर जाकर आराम से ही पास के लिए अप्लाई कर सकते हैं। मेरी मध्य प्रदेश सरकार की साइट पर यह भरोसा उस वक्त मटिया मेल हो गया जब उन्होंने मुझे ताना देते हुए कहा कि यह क्या भेज दियो यार आधे घंटे से अभी तक खुल ही नहीं रहा यानी कि सर्वर नॉट फाउंड। ठीक है भाई अब सरकार के लिए इतना तो सुन हीं सकते हैं। उसके बाद जैसे-तैसे करके जो है ई-पास के लिए अप्लाई किया गया। अप्लाई करने के बाद हुआ कि भाई अब अप्प्रूव करवाना पड़ेगा। उन्होंने बोला यार अब यह भी करवाना पड़ेगा। मैंने बोला करवाना नहीं पड़ेगा वह खुद करके देंगे। अब परसों रात को उनका ई-पास अप्रूव भी हो गया। अब बात आई कि जाएंगे कैसे तो पता चला कि इंदौर में उनके एक मित्र हैं जो अपना चार पहिया वाहन लेकर भोपाल आएंगे और इन्हें यानी कि हमारे खिलाड़ी भैया को अपने साथ लेकर उनके गंतव्य स्थल रीवा की ओर प्रस्थान करेंगे। ठीक है प्लानिंग बहुत बढ़िया थी तो खिलाडी भैया ने पूरी पैकिंग कर ली और घर पहुंच जाएंगे यह मन में बिठा लिया लेकिन इतना आसान थोड़ी ना इस लॉकडाउन में इतनी आसानी से घर पहुंचना ।

भोपाल पुलिस चाक-चौबंद पर कहां तक
खिलाडी भैया फिर प्रकट हो गए उन्होंने कहा कि यार उस चार पहिया वाहन को भोपाल की सीमा के अंदर नहीं आने से रहे हैं ,मैं जाऊंगा कैसे। मुझे छोड़ कर आओ रायसेन रोड तक। भाई खिलाड़ी भैया की बात है तो ऐसे कैसे मना कर दे। हम तैयार हो ही रहे थे ,मस्क, ग्लव्स लगाकर तब तक हमें पता चला कि जो चार पहिया वाहन लेकर आ रहे थे वह खुद बहुत चालाक निकले। उनको पुलिस ने एक जगह रोका तो वह घूम घाम के दूसरी जगह से शहर में बहुत इत्मीनान से बिना किसी चेकिंग के दाखिल हो गए। भैया यह तो हालत है राजधानी के पुलिस की तो बाकी जगहों की बात आगे आपको मैं सुना ही दूंगा।

काहे का लॉक डाउनलोड कभी हाईवे पर जाकर देखे हैं
गाड़ी भोपाल से चल पड़ी थी। गाड़ी भोपाल से निकलकर हाईवे पर पहुंची तो इनकी आंखें वहां भीड़ देखकर अचंभित हो उठी। हाईवे पर ट्रक से ज्यादा टेंपो और छोटी गाड़ियों की भीड़ थी। ना कोई स्कैनिंग ना चेकिंग और ना ही कोई रोक-टोक। जो लोग महाराष्ट्र मुंबई या अन्य जिलों में टेंपो चलाते हैं या जिनके पास एक्टिवा है टू व्हीलर है वह बड़े ही आराम से अपने अपने गंतव्य को जा रहे थे। अगर इनमें से किसी एक को भी कोरोना हो तो जाने वह कितने नाकों पर कितनों को बांटते हुए निकलेंगे। 

हम रोकेंगे कोरोना पर कूलर में आराम से सो कर

भोपाल से रीवा के रास्ते में सतना कटनी दमोह सागर आदि जिले पड़ते हैं। खिलाडी भैया से जबी मेरी बात हुई तो उन्होंने बोला की ई-पास की तो कोई जरूरत ही नहीं थी क्योंकि सागर पुलिस के अलावा उन्हें और किसी ने भी रोकना तो दूर हाथ दिखाने तक की जहमत नहीं उठाई। और इसी तरह गाड़ी इत्मीनान से चलते हुए पहुंची रीवा। अब रीवा बॉर्डर पर पहुंचने से पहले इन लोगों ने उम्मीद कर रखी थी की थर्मल स्कैनर, स्वास्थ्य विभाग और पुलिसकर्मी पूरे चाक-चौबंद के साथ इनके स्वागत को आतुर होंगे। लेकिन जैसे ही वह रीवा बॉर्डर पर पहुंचे उनके सारे सपने चकनाचूर हो गए। वहां पुलिस वाले तो थे लेकिन बड़ी ही आराम से अपने तंबू में कूलर की हवा में बेचारे थक हार कर नींद ले रहे थे। करेगी क्या कितना काम है भाई और पुलिस वाले हैं ही इतने बड़े भारत में किस-किस को रोकते फिरेंगे। कोरोना आता है तो आए दो लाठी मारकर भगा दिया जाएगा। कोई आर्मी थोड़ी ना है जो चौबीसों घंटा एकदम ड्यूटी पर तैनात रहेंगे। भाई आदमी है नींद भी आती है।

खैर मध्यप्रदेश शासन हो ना हो ,हमारे खिलाड़ी भैया जिम्मेदार व्यक्ति हैं पुलिस टॉप अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए उन्होंने सबसे पहले अपने आने की सूचना पुलिस थाने में जाकर दी और वहां से सीधे निकल गए कुशाभाऊ अस्पताल रीवा में अपना कोरोना जांच करवाने। लेकिन जब वह अस्पताल पहुंचे ,जी वही अस्पताल जहां का प्रशासन सुबह शाम दिन रात करो ना जान करने की बात करता है वह प्रशासन शांत चुप और किसी कोने में आराम से कान में सरसों का तेल डालकर बैठा हुआ था। वहां इतनी भीड़ इकट्ठा थी कि जिसे अब तक संक्रमण ना हुआ हो वह भी उस अस्पताल में जाकर संक्रमित हो जाए। बरहाल खिलाडी भैया ने जैसे-तैसे जांच करवा लिया है और फिलहाल सब लोगों से दूर होम क्वारंटाइन में अपना जीवन एक कैदी के रूप में बिता रहे हैं।

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