MP में नही थम रही सड़क दुर्घटना, डेढ़ साल के अंदर हुई 18 हजार से ज्यादा लोगों की मौत
मध्यप्रदेश में नही थम रही सड़क दुर्घटना, डेढ़ साल के अंदर हुई 18 हजार से ज्यादा लोगों की मौत
- लगातार बढ़ रहीं हैं सड़क दुर्घटना
- परिवहन नियमों का बुरा हाल
- बदहाल सड़कों में कब आएगी जान?
भोपाल। विपक्ष चाहे किसी भी पार्टी की हो सरकार पर आरोप लगाने से कभी पीछे नही हटी और हटना भी नही चाहिए आखिर सरकार की नाकामी और गलतियों को याद दिलाने वाला कोई तो होना ही चाहिए लेकिन विपक्ष को जब सत्ता में बैठने का मौका मिलता तो उससे उम्मीद की जाती है कि वो पहलें की सरकार से ज्यादा बेहतर काम करेगी लेकिन प्रदेश में इन दिनों कांग्रेस की सरकार अपनी परिवहन की नीतियों में असफल होते नज़र आ रही है जी हां, ये बात हम नही बल्कि आंकड़े बोल रहे हैं सड़क दुर्घटना कम करने के लिए सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद सकारात्मक परिणाम नजर नहीं आ रहे हैं| प्रदेश में डेढ़ साल के अंदर सड़क हादसों में करीब18 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
क्या कहते है सरकारी आंकड़ें
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार साल 2018 में सड़क हादसों में 11 हजार 450 राहगीरों की मौत हुईं, जबकि इस साल जून तक साढ़े छह हजार लोगों की मौतें दर्ज हुई हैं। जिसके बाद केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक ही सड़क हादसों में जान गंवाने वाले लोगों में सबसे ज्यादा टू-व्हीलर यानी दुपहिया वाहन और पैदल चलने वाले लोग शामिल है इतना ही नही इनमें ड्राइविंग के साथ शराब का सेवन और मोबाइल पर बात करना भी दुर्घटना का बड़ा कारण सामने आया, 29 फीसदी मौतें हेलमेट नहीं पहनने के चलते हुईं। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2018 के दौरान देश में सड़क दुर्घटनाओं में 0.46 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई| साल 2017 में 4,64,910 के मुकाबले 4,67,044 सड़क दुर्घटनाएं हुईं| इस अवधि के दौरान मृत्यु दर में भी करीब 2.37 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. साल 2017 में 1,47,913 के मुकाबले साल 2018 में 151471 लोग मारे गए थे| जनवरी से जून 2019 तक, सड़कों में मरने वालों की संख्या 6 हजार 500 दर्ज की गई है। मरने वालों में ज्यादातर लोगों की उम्र 18 से 45 वर्ष आयु पाई गई है।
सरकार के खोखले दावे
शिवराज सिंह ने सत्ता में रहने पर ये दावा किया था कि मध्यप्रदेश की सड़कें अमेरिका से बेहतर है उस वक्त विपक्ष की भूमिका निभा रहे कमलनाथ ने कहा था की मध्यप्रदेश की तो नही लेकिन छिंदवाड़ा की सड़कें जरुर है लेकिन जब आज कमलनाथ सत्ता में है तो बदहाल सड़कें अब तक छिंदवाड़ा की तरह क्यों नही बन पाई है या फिर यूं कह लिजिए की अब तो छिंदवाड़ा जैसी सड़कें मध्यप्रदेश में बन जाना चाहिए थी लेकिन क्यों नही बन पाईसाथ ही बरसात के वक्त कई ग्रामीण अंचलों स्कूल के रास्ते इतनी बुरी स्थिति में थे की बच्चें स्कूल तक नही जा पा रहे थे उन सड़कों को बनाने की भी बात की गई थी जैसे हर सरकार अपनी सत्ता के वक्त करती है बस बनवाना भूल जाती हैं
अब देखना ये होगा कि क्या सिर्फ मेट्रों प्रोजेक्ट के लिए सरकार पेड़ काट कर प्रदेश के ऑक्सीजन को घटाने का काम करती रहेगी या फिर लोगों की ज़िंदगी बचाने के लिए परिवहन सुविधा, सख्त नियम और अच्छी सड़कें भी मुहैया कराएगी।