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अरब देशों में मस्जिदों में नही पढ़ी जाएगी नमाज़,अज़ान के शब्दों में भी हुआ बदलाव

अरब देशों में मस्जिदों में नही पढ़ी जाएगी नमाज़,अज़ान के शब्दों में भी हुआ बदलाव

आज यानि कि शुक्रवार का दिन इस्लाम धर्म के लिए काफी अहम दिन के तौर पर गिना जाता है जिसे इस्लाम में जुमा का दिन कहा जाता है वैसे तो पांच वक्त की नमाज़ अदा की जाती है जिसे कुछ इस तरह जाना जाता है। सुबह की नमाज़ जिसे फ़जर, दोपहर की नमाज़ जिसे ज़ोहर, शाम से पहले की नमाज जिसे अस्र, शाम के वक़्त की नमाज़ जिसे मग़रिब और शाम के बाद रात में पढ़ी जाने वाली नमाज़ जिसे इशा कहते हैं, ये पांचों वक्त का नमाज़ इस्लाम में बेहद महत्वपूर्ण हैं.

अरब देशों में मस्जिदों नमाज़ नही पढ़ा जाएगा

बता दें कि अरब देशों में आज जुमे की नमाज नहीं होगी, क्योंकि कोरोना वायरस की वजह सरकार ने लोगों से अपील की है, वो मस्जिदों में न आएं और अपने घरों पर नमाज पढ़ें. स्थानीय सरकारों ने मस्जिदें बंद कर दी हैं. मस्जिदों से होने वाली अजान में भी तब्दिली की गई है और कहा जा रहा है कि अपने घरों में नमाज पढ़ें. कई इस्लामिक देशों में इस वायरस से बचने के लिए एहतियात से तौर पर जुमे की नमाज़ मस्जिद की जगह लोगों से अपने-अपने घरों में अदा करने की अपील की जा रही है.

मक्का-मदीना में भी कोरोना से एहतियात

इस्लाम धर्म के के दो सबसे पवित्र स्थलों मक्का और मदीना में भी नमाज़ पढ़ने के लिए लोगों को भारी तादाद में इक्कठा होने की इजाजत नहीं है. सऊदी अरब में लोगों से कहा गया है कि घर में ही नमाज़ अदा करें. इस्लामिक देश जुमे की नमाज़ की जगह लोगों से घरों में ही ज़ोहर की नमाज़ पढ़ने की अपील कर रहे हैं.

अजान के शब्दों में हुआ बदलाव

अजान के बोल में भी बदलाव किया है. दरअसल अजान में एक बोल है- हय्या अलस सलाह, जिसका अर्थ होता है- नमाज के लिए आओ… लेकिन अब इस बोल के बदले कहा जा रहा है- अल सलातु फी ब्यूतिकिम, जिसका अर्थ है- अपने घर पर नमाज़ पढ़ें. बता दें कि इंस्टा पर एक यूजर ने कुवैत में अजान में हुए बोल के बदलाव को शेयर किया है.

 

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