अतिथि विद्वानों के आंदोलन ने हिलाई थी कमलनाथ सत्ता की जड़, फिर से वापस लौटा "शिव राज", आंदोलन को 1 वर्ष पूरे पर अभी तक नहीं हुआ नियमितीकरण
अतिथि विद्वानों के आंदोलन ने हिलाई थी कमलनाथ सत्ता की जड़, फिर से वापस लौटा “शिव राज”, आंदोलन को 1 वर्ष पूरे पर अभी तक नहीं हुआ नियमितीकरण
भोपाल/गरिमा श्रीवास्तव :- विद्वानों के आंदोलन को अब 1 वर्ष पूरे हो चुके हैं. पर अभी तक सरकार ने उनके हित में संतोषजनक फैसले नहीं लिए. जब सत्ता में कमलनाथ की सरकार थी तब खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अतिथि विद्वानों के धरना स्थल पर गए थे और उनसे वादा किया था कि जब सत्ता में उनकी सरकार वापसी करेगी तो सबसे पहला काम अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण रहेगा.. कमलनाथ की सरकार का विश्वास की सरकार वापस लौटी पर अतिथि विद्वानों की स्थिति जस की तस है….
अभी तक उनका नियमितीकरण नहीं हो पाया..
पैसों के अभाव में पांच अतिथि विद्वानों ने आत्महत्या कर लिया.. तो एक अतिथि विद्वान के मासूम बेटे काव्यांश की इलाज न करा पाने की वजह से मौत हो गई…
2017 की विवादित सहायक प्राध्यापक भर्ती के कारण लगभग 27 व मध्य प्रदेश वासी उच्च शिक्षित वर्षों से उच्च शिक्षा को अपने खून पसीने से सीखने वाले विद्वानों को बेरोजगार कर दिया गया था. मुझे पहला अतिथि विद्वानों ने 2 दिसंबर 2019 से बहुचर्चित आंदोलन की शुरुआत पूर्व तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा से की थी..
इस धरना प्रदर्शन में कई अतिथि विद्वानों को जेल भी जाना पड़ा था. भोपाल के शाहजहानी पार्क में 140 दिन का आंदोलन विद्वानों ने किया था.
नियमितीकरण की आस में महिला विद्वानों ने केश त्याग दिए थे..
अतिथि विद्वानों का कहना है कि शोषणकारी कमलनाथ की सरकार ने उनकी सुध नहीं ली अब शिवराज सरकार ने भी उनकी स्थिति बिगाड़ कर रखी है अब उनकी सुध कौन लेगा???