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अब अडानी के हाथों में जाएगी MP Power ट्रांसमिशन कंपनी, 35 साल तक होगा कंट्रोल! सरकार का दावा मिलेगी मजबूती 

  • केंद्र सरकार आर्थिक तंगी से जूझ रही है – वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
  • देश की कई सरकारी संपत्तियों को लीज पर या फिर बेचा जा सकता है
  • अपने करीबी पूंजीपतियों के हाथों धीरे-धीरे देश को बेचने का काम कर रही है मोदी सरकार 

भोपाल : देश में सरकारी संस्थानों और कंपनियों के निजीकरण की खबरे अब आम हो चुकी है, आए दिन ऐसी कोई न कोई खबर सामने आती है जिसमें “केंद्र सरकार” द्वारा किसी सरकारी संपत्ति को निजी हाथों में सौंपने की बात कर रही होती है। वहीं, विपक्षी दल भी मोदी सरकार द्वारा किए जा रहे सरकारी संस्थानों और कंपनियों के निजीकरण का जमकर विरोध कर रहे हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि मोदी सरकार अपने करीबी पूंजीपतियों के हाथों धीरे-धीरे देश को बेचने का काम कर रही है। जिससे देश के लोगों को पूंजी पतियों का गुलाम बना दिया जाएगा।

इसी बीच अब एक और बड़ी खबर मध्यप्रदेश से सामने आई है जहां अडानी ग्रुप द्वारा एमपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी के अधिग्रहण किए जाने की बात कही जा रही है। कहा जा रहा है कि देश के दूसरे सबसे बड़े व्यापारी गौतम अडानी जल्द ही एमपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी पर अपना कब्जा जमाने वाले हैं। बीते कुछ समय से गौतम अडानी तेज़ी से देश की सरकारी संपत्तियों का अधिग्रहण किए जा रहे हैं। 

एमपी पावर ट्रांसमिशन के अधिग्रहण के लिए अडानी ग्रुप को 1200 करोड़ रुपए का भुगतान करना पड़ेगा। इस सौदे के बाद अडानी ग्रुप को अब मध्य प्रदेश में 35 साल तक ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट के अधिकार दिए जाएंगे। बता दें कि एमपी पावर ट्रांसमिशन लाइनें बिछाने और उनका संचालन करने वाली महत्वपूर्ण सरकारी कंपनी है। हालांकि, सरकार का दावा है कि इससे मध्यप्रदेश में पावर ट्रांसमिशन सिस्टम को मजबूती मिलेगी।

गौरतलब है कि मोदी सरकार के शासनकाल में देश के सरकारी संस्थानों और कंपनियों का निजीकरण जोरों शोरों से चल रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 की शुरुआत में ही देश के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया था कि केंद्र सरकार आर्थिक तंगी से जूझ रही है। इसलिए देश की कई सरकारी संपत्तियों को लीज पर दिया जा सकता है या फिर बेचा जा सकता है। 
 

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