जल्द मिलेगा निर्भया को इंसाफ, दोषियों को फांसी देने की कवायदें तेज़

जल्द मिलेगा निर्भया को इंसाफ, दोषियों को फांसी देने की कवायदें तेज़
देशभर को झंझोर कर रख देने वाले निर्भया कांड को आगामी 16 दिसंबर को 7 वर्ष पूरे हो जायेंगे. समूचे देश के रोंगटे खड़े कर देने वाली इस घटना के प्रति काफी रोष व्यक्त किया गया था. साथ ही धरने-प्रदर्शनों का भी काफी लंबा दौर चला था. शायद ही कोई ऐसा देशवासी होगा जो दिल्ली में घटित उस काली रात को भूल पायेगा जब एक युवती पर चलती बस में 6 दरिंदो ने अपनी बर्बरता का कहर बरपाया था. हैवानियत का आलम यह था कि सभी 6 आरोपियों ने 'निर्भया' के साथ सामूहिक बलात्कार करकर उसके साथ काफी बर्बरता की थी. साथ ही आरोपियों ने बस सवार दामिनी और उसके दोस्त को चलती बस से फेंक दिया था. 13 दिन के संघर्ष और सभी प्रयासों के वाजवूद भी 29 दिसंबर को दामिना ज़िन्दगी की जंग हार गयी थी जिसका गुस्सा पूरे देश में फूटा था. पुलिस द्वारा सभी 6 आरोपियों को पकड़कर न्यायलय के समक्ष पेश किया गया था. इन सभी 6 आरोपियों में से एक आरोपी ने जेल में रहते हुए ही फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली थी. तो वहीं एक दूसरे आरोपी को नाबालिग होने की वजह से 3 साल के लिए बाल सुधार गृह भेजा गया था. बाकी बचे चारों आरोपियों के खिलाफ फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में सामूहिक बलात्कार और हत्या का मामला चला था जिसमे उन्हें फंसी की सजा सुनाई गयी थी. सजा-ए-मौत के इस फैसले को हाई कोर्ट द्वारा भी बरकार रखा गया था और 13 मार्च 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा पर मुहर लगा दी थी. और 5 साल बाद अब फिर से इन चारों आरोपियों को फांसी देने को लेकर चर्चाओं का बाजार गरम है. खबर यह भी आ रही है कि इन चारों आरोपियों को या तो 16 दिसंबर को या फिर 29 दिसंबर को फ़ांसी हो सकती हैं. वहीं फांसी देने को लेकर देश के खानदानी जल्लाद, पवन जल्लाद के पास भी तिहाड़ जेल प्रशासन द्वारा फ़ोन आ चुका हैं। दूसरी ओर दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल में भी फांसी देने को लेकर तैयारियां तेज़ कर दी गयी हैं. पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के निरक्षण में जेल में स्थित फांसीघर में भी मरम्मत का कार्य चल रहा है और चारों आरोपियों को तिहाड़ जेल के अलग अलग जेल नंबरों में रखा गया है. इसके चलते जेल प्रशासन भी काफी सतर्कता बरत रहा है.
मेरठ से तिहाड़ जेल भेजा जायेगा जल्लाद
निर्भया के गुनहगारों को फांसी के तख्ते पर लटकाने के लिए तिहाड़ जेल प्रशासन ने मेरठ से जल्लाद बुलवाया है. मेरठ निवासी पवन जल्लाद पेशे से खानदानी जल्लाद हैं. पवन बताते हैं कि उन्हें फांसी के संबंध में फ़ोन आ चूका है और वो इन चारों आरोपियों को फांसी के फंदे पर लटकने को तैयार हैं. पवन जल्लाद के दादा कालू राम जल्लाद भारत के कई कुख्यात अपराधियों को फांसी दें चुके हैं. पवन ने भी अपने दादा से ही इस पेशे को अपनी विरासत में पाया है और वह अपने दादा कालू राम को ही अपना गुरु मानते हैं. बता दें कि कालू राम जल्लाद कुख्यात अपराधी रंगा बिल्ला समेत इंदिरा गांधी के हत्यारे सतवंत सिंह और केहर सिंह को भी फांसी दे चुके हैं. पवन का कहना है कि अगर इन चारों दरिंदों को पहले ही फांसी दे दी गयी होती तो शायद हैदराबाद की घटना नहीं होती.
आसान नहीं है जल्लाद होना
(पवन जल्लाद)
मेरठ निवासी पवन पेशे से जल्लाद हैं और उनको यह पेशा उनकी विरासत में मिला है. इससे पूर्व उनके पिता, दादा और परदादा कई अपराधियों को फांसी के फंदे पर लटका चुकें है. अब चाहे पैसों के लिए कह लीजिये या फिर खानदानी पेशा, पवन भी अब जल्लाद बन चुके हैं. पवन जल्लाद को उत्तर प्रदेश द्वारा मात्र 5 हज़ार रुपये का मासिक वेतन मिलता हैं. पूर्व में उन्हें प्रतिमाह 3000 रुपये मिलते थे जिसे काफी गुहारों के बाद बढाकर 5000 रुपये कर दिया गया था. पवन के परिवार में नौ लोग है जिनका जीवनयापन इन 5000 रुपये में करना काफी मुश्किल है और इसी वजह से उन्हें मजबूरन एक टायर की दुकान पर काम करना पड़ता है. जल्लाद शब्द किसी गाली से कम नहीं है और ऐसे में इस पेशे को विरासत के रूप में बरक़रार रखना पवन जल्लाद के लिए काफी कठिन काम है. पवन सरकार से यही चाहते हैं कि उनके मासिक वेतन को बढाकर 20000 रुपये कर दिया जाये जिसके बाद उनके भाई भी इस पेशे में आ जायेंगे। एक जल्लाद के रूप में पवन को आर्थिक और सामाजिक समस्या का सामना करना पड़ता है लेकिन इतनी गुहारों के बाद भीं उनकी आवाज़ सरकार के उच्च अधिकारियों तक नहीं पहुंच पायी है.
बता दें कि इससे पहले दुष्कर्म के मामले में आखिरी फांसी वर्ष 2004 में पश्चिम बंगाल में हुई थी। एक छात्रा से बलात्कार के मामले में धनंजय चटर्जी नामक एक व्यक्ति को 14 अगस्त 2004 को फांसी के फंदे से लटका दिया गया था।