मिसाइल मैन जन्मदिन विशेष:- डॉ कलाम ने तय किया "फ़र्श से अर्श" तक का सफ़र, एपीजे अब्दुल कलाम ने भोपाल के बच्चों को दिया था यह खास मंत्र
मिसाइल मैन जन्मदिन विशेष:- डॉ कलाम ने तय किया “फ़र्श से अर्श ” तक का सफ़र, एपीजे अब्दुल कलाम ने भोपाल के बच्चों को दिया था यह खास मंत्र
विशेष रिपोर्ट : गरिमा श्रीवास्तव
आज मिसाइल मैन डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जन्मदिन है. ऐसे तो डॉ कलाम लोगों की स्मृतियों में नित दिन रहते हैं पर उनके जन्मदिन पर लोग उन्हें और भी याद करते हैं. पूरा देश ने मिसाइल मैन के नाम से पुकारता है.
एक समय जब जनता के राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम भोपाल आए थे तो उन्होंने भोपाल के बच्चों को कंप्यूटर पर हिंदी में काम करने का मंत्र दिया था.
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम 2012 में भोपाल आए थे. इस दौरान उन्होंने लैंग्वेज कंप्यूटिंग कार्यशाला में शिरकत की थी. इस दौरान उन्होंने शासकीय विद्यालय के बच्चों को भाषा के साथ-साथ तकनीकी हासिल करने का अचूक मंत्र दिया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने बच्चों से कहा कि हम कंप्यूटर के साथ-साथ भाषा का असीम भंडार इकट्ठा कर सकते हैं. और सिर्फ भाषा के क्षेत्र में ही नहीं, तकनीकी के क्षेत्र में भी अपना परचम लहरा सकते हैं.
2012 का यह मौका ऐसा पहला मौका रहा होगा जब मिसाइल मैन अशासकीय विद्यालय के बच्चों के बीच उन्हें हिंदी में कंप्यूटर इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया होगा.
इससे पहले भी डॉ एपीजे अब्दुल कलाम भोपाल गैस त्रासदी के दौरान आए थे उन्होंने पीड़ितों की काफी मदद की और काफी लोगों से मिले.
पिछले वर्ष ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम अवार्ड से नवाजा गया था. उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने मुख्यमंत्री शिवराज को यह अवार्ड दिया जिसके बाद सीएम शिवराज ने कहा कि यह उनका अवार्ड नहीं है हमारे मध्य प्रदेश का अवार्ड है.
फर्श से अर्श तक का सफ़र किया तय:-
मछुआरा परिवार के एपीजे अब्दुल कलाम पांच भाई और पांच बहन थे। इनके पिता नाविक थे और मछुआरों को किराए पर नाव दिया करते थे। कलाम साहब का बचपन बेहद गरीबी में बीता। ..यही वजह है कि इतने बड़े परिवार का भरन-पोषण करना और शिक्षा दिलाना जब कलाम साहब के पिता के लिए मुश्किल होने लगा तब एपीजे अब्दुल कलाम ने बचपन में अखबार भी बेचा। अखबार बेचकर वह अपने पढ़ाई का खर्च भी निकालते थे।गरीबी में जन्में अब्दुल कलाम रेलवे स्टेशन पर अखबार बेचा करते थे.. पर कहते हैं ना कि सफलता किसी की मोहताज नहीं होती.
एपीजे अब्दुल कलाम ने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) व इसरो को भी संभाला और देश में सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शामिल रहे
डॉ कलाम की प्रेरणा स्रोत लाइन:-
बेहद सरल स्वभाव के डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने अपने जीवन में ऐसे ऐसे दौड़ देखें जिन का अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल होता है. एपीजे अब्दुल कलाम आठ बार भोपाल आएं. डॉ कलाम ने कहा था “सपने वो नहीं होते जो आप सोने के बाद देखते हैं सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते”
इनकी यह लाइन लोगों को हर समय प्रेरणा देती है.