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कमलनाथ सरकार में शिवराज ने किया दिखावा, अब तक अतिथिविद्वानों का नियमितीकरण नही, शिवराज-महाराज ने साधी चुप्पी 

कमलनाथ सरकार में शिवराज ने किया दिखावा, अब तक अतिथिविद्वानों का नियमितीकरण नही, शिवराज-महाराज ने साधी चुप्पी 

  • शिवराज सरकार ने अतिथि विद्वानों के अंधकारमय भविष्य के प्रति अब तक नहीं दिखाई सक्रियता ,'
  • दिसंबर 2019 से लगातार फाॅलेन आउट चल रहे हैं 600 से अधिक उच्च शिक्षित '
  • ' कमलनाथ सरकार में भाजपा द्वारा इनका पक्ष लेना अब एक दिखावा ही साबित हो रहा है '

भोपाल/गरिमा श्रीवास्तव :-  प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में दो दशक से कालखण्ड दर पर सेवा देने वाले अतिथि विद्वानों के अंधकारमय भविष्य के प्रति भाजपा की शिवराज सरकार ने भी अब तक सक्रियता नहीं दिखाई है। पूर्व कमलनाथ सरकार के 15 माह 6 दिन के कार्यकाल में इनकी सेवा बहाली और नियमितीकरण का पक्ष लेने का मामला अब दिखावा ही साबित हो रहा है। मार्च 2020 से शिवराज सरकार प्रदेश में फिर से काबिज हुई है। लेकिन अब तक 600 से अधिक फाॅलेन आउट अतिथि विद्वानों को व्यवस्था में नहीं ले पाई है। 13 महीने से बेरोजगार अतिथि विद्वान दर-दर भटक रहे हैं। उनके परिवार का भरण पोषण करना अब कठिन हो गया है।
3400 के लगभग कार्यरत और बचे हुए फाॅलेन आउट अतिथि विद्वानों में से कई ओवरएज हो चुके हैं। वर्षों तक सभी वर्गो के लिए एक साथ बड़ी मात्रा में भर्ती का आयोजन कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही सरकारों द्वारा नहीं किया गय था।  जिसके कारण इन उच्च योग्यताधारियों को ऐसी व्यवस्था में अपने जीवन का अमूल्य समय अल्प मानदेय में देना पड़ा है। वर्ष 2017 – 18 में एमपी पीएससी से आयोजित हुई सहायक प्राध्यापक, ग्रंथपाल और क्रीड़ा अधिकारी की नियमित भर्ती में भी इनको 400 अंको की परीक्षा में केवल 20 अंक 5 वर्ष अनुभव के और उम्र में छूट देकर इनसे छुटकारा पा लिया था। जिसमें मात्र 20 से 25 प्रतिशत लोगों का ही चयन हुआ था। पिछली कमलनाथ सरकार तो इनको वचन देकर भी नियमित भर्ती की नियुक्ति इनके पदों पर करके इन्हें बेरोजगार बनाकर सत्ता से बेदखल हो गई थी। अब अधिक आयु में यह लोग कैसे अपना गुजर बसर करेंगे। वर्तमान शिवराज सरकार ने इनके आंदोलन के दौरान आत्मबल बढ़ाया था। लेकिन अब इनको बेहाल कर दिया है।

अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी  का इस बारे में कहना है कि, अब तो शिवराज सरकार को हमारे अनिश्चित कैरियर के प्रति सहानुभूति दिखाना चाहिए। कई उच्च शिक्षित महिला और पुरुष अतिथि विद्वानों ने बड़ी कठिनाइयों में शिक्षा अर्जित की थी। लेकिन एमपी की सरकार ने उनका जीवन नश्वर बना दिया है। समाज में सिर उठाकर जीने लायक नहीं छोड़ा है।

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