MP शर्मसार : जान बचाने के लिए गिड़गिड़ाई, रेप कर लो, नहीं चिल्लाऊंगी, पर जान से मत मारो, टूटी रीढ़ की हड्डी, आए 42 टांके
मध्यप्रदेश/भोपाल – मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से मानवता को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया हैं। जहां कोलार में रहने वाली 24 साल की एक लड़की के साथ हैवानियत की गई। मामला 16 जनवरी का हैं। कोलार में रहनेवाली 24 साल की निक्की (परिवर्तित नाम) ने बताया कि मैं 16 जनवरी की शाम करीब 7:30 बजे हर रोज की तरह ईवनिंग वॉक पर निकली थी। तभी जेके हॉस्पिटल से दानिशकुंज चौराहे पर एक लड़के ने मुझे तेजी से धक्का मारा। मैं सीधे सड़क किनारे पांच फीट गहरी खंती में गिरी। रीढ़ की हड्डी टूट गई।
पीड़िता ने बताया कि उसने मुझे झाड़ियों में पटक दिया। वो मेरा शरीर नोंचने लगा, दांतों से काटने लगा। वो दुष्कर्म की कोशिश कर रहा था। मैं चिल्लाई तो उसने पत्थर उठाकर सिर पर कई बार मारा। जान बचाने के लिए गिड़गिड़ाई- तू रेप कर ले, नहीं चिल्लाऊंगी, न किसी को फोन करूंगी। लेकिन पत्थर मत मारो। पांच मिनट तक शरीर से बदसलूकी करता रहा। मैं हेल्प-हेल्प चिल्लाई। शुक्र है कि मेरी आवाज वहां से निकल रहे एक युवक-युवती ने सुन ली। दोनों झाड़ियों में घुस आए। दरिंदा उन्हें देखते ही मुझे अधमरा छोड़ भाग गया।
पीड़िता का कहना है कि जितना दर्द उस दरिंदे ने दिया, उतना ही अब पुलिस गुमराह कर रही हैं। पुलिस तीन दिन तक कहती रही कि आरोपी कोई परिचित ही होगा। लेकिन 20 दिन बाद अचानक उन्होंने बताया कि महाबली नगर के एक युवक ने गुनाह कबूल कर लिया हैं। उसे गिरफ्तार कर लिया, लेकिन आज तक उस शख्स को मुझे नहीं दिखाया। मेरी मां व्हील चेयर, स्ट्रेचर पर मुझे थाने ले जाने के लिए तैयार हैं, ताकि मैं आरोपी की पहचान कर सकूं, लेकिन पुलिस न तो आरोपी का फोटो दिखा रही है, न ही आमना-सामना करा रही हैं। मैंने आरोपी की आवाज का ऑडियो मांगा, ताकि उसकी पहचान कर सकूं, लेकिन पुलिस ने ये भी नहीं दिया। ये जानलेवा हमला था, रेप की कोशिश थी, फिर भी पुलिस इसे सामान्य मारपीट का केस मान रही हैं।
बता दे कि पीड़िता की रीढ़ की हड्डी टूट चुकी थी। एम्स में ऑपरेशन हुआ, 42 टांके आए हैं। इसके अलावा सिर में गहरी चोट, कई टाकें भी आए हैं। रीढ़ की हड्डी टूट जाने के बाद पीड़िता अपनी मर्जी से एक इंच भी नहीं हिल पाती, जबकि कमर के नीचे का बायां हिस्सा पेरेसिस बीमारी से सुन्न हो गया हैं। बायां पैर बिना रुके हिलता रहता हैं। कम से कम अगले छह महीने का हर एक सेकंड बिस्तर पर ही गुजारना हैं।