मप्र/ तिरंगे में लिपटे विधायक ऊंटवाल के अंतिम दर्शन को उमड़ी भीड़, पूर्व मुख्यमंत्री के पहुंचने की संभावना
इंदौर/आलोट: आगर विधायक और भाजपा के प्रदेश महामंत्री मनोहर ऊंटवाल की अंतिम यात्रा कुछ देर में उनके निवास से निकलेगी, जो करीब दो किलोमीटर मुख्य मार्ग से होती हुई अनादिकल्पेश्वर मुक्तिधाम पहुंचेगी। जहां राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। मुखाग्नि बेटे मनोज ऊंटवाल देंगे। शुक्रवार सुबह अंतिम दर्शन के लिए तिरंगे पर लिपटा पार्थिव शरीर उनके निवास हाउसिंग बोर्ड काॅलोनी ग्राउंड पर रखा गया, जहां अपने चहेते नेता को श्रद्धांजलि अर्पित करने हजारों की संख्या में लोग पहुंचे।
गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में ली अंतिम सांस
विधायक ऊंटवाल को लगातार सिर में दर्द होने के कारण परिजनाें ने 6 जनवरी को इंदौर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। यहां ऑपरेशन के बाद भी उनकी हालत नहीं सुधरी ताे उन्हें एयर लिफ्ट कर गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हाेंने इलाज के दाैरान गुरुवार को अंतिम सांस ली। ऊंटवाल दाे बार अागर, दाे बार आलाेट से विधायक बने। वह 2014 में शाजापुर-देवास लाेकसभा से सांसद भी रहे। 54 वर्षीय ऊंटवाल मौजूदा विधानसभा में आगर सीट से विधायक थे। अंतिम यात्रा में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान समेत कई दिग्गज नेताओं के पहुंचे की संभावना है। इसके पहले सुबह विधायक माधव मारू, हिम्मत कोठारी, देवास सांसद महेंद्र सोलंकी, विधायक जगदीश देवड़ा, राजेन्द्र पांडेय, मनोज चावला, संघ के प्रभाकर केलकर, राजपाल सिंह सिसौदिया, बंसीलाल गुर्जर सहित कई नेता अंतिम यात्रा में शामिल होने पहुंचे।
आरएसएस के नगर विस्तारक के रूप में आलोट पहुंचे थे
धार जिले के बदनावर में 19 जुलाई 1966 को जन्में ऊंटवाल वर्ष 1985-86 में आरएसएस नगर विस्तारक के रूप में आलोट आए थे। इसके बाद तो वे यहीं के होकर रह गए। आलोट से वर्ष 1998 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने। 2005 में मप्र अनुसूचित जाति आयोग सदस्य बने। वर्ष 2008 में आलोट से ही दोबारा विधायक बने और तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से करीबी रिश्तों की वजह से नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग में राज्यमंत्री बने। 2013 में उन्होंने आगर विधानसभा से चुनाव लड़ा और तीसरी बार विधायक बने, लेकिन मई 2014 में सांसद बनने पर विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। 2018 में चौथी बार वे आगर से ही चुनाव लड़े और विधायक बने।
विधायक बनने के बाद आलोट आकर बस गए थे
पहली बार विधायक बनने के बाद वे बदनावर से पत्नी अनु ऊंटवाल के साथ आलोट आकर बस गए। इनके दो पुत्र मनोज, संतोष व एक बेटी पूजा है। तीनों की शादी और पढ़ाई उन्होंने आलोट रहते हुए ही पूरी करवाई। विधायक ऊंटवाल कार्यकर्ताओं को सबसे ज्यादा तवज्जो देते थे। बल्कि उनके किसी काम के लिए वे आधी रात में उठ जाते थे।