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विधानसभा सचिवालय भरेगा 78 विधायकों के रचना टावर में बुक की हुई फ्लैट के 10 करोड़ की ब्याज राशि

भोपाल :- रचनानगर (Rachnanagar) में स्थित रचना टावर में करीब 78 विधायकों ने फ्लैट बुक किया था परन्तु उसकी ब्याज राशि 8 साल से किसी ने भी नहीं भरी।
 जबकि 230 ऐसे विधायक हैं, जिन्होंने कभी भी समय पर किश्त नहीं दी। टावर को बना रहे मप्र आवास संघ ने कई बार विधायकों से किश्तें भरने को कहा, लेकिन विधायकों ने किश्तों को बार बार भरने से मना कर दिया। विहायक अलग अलग तरह के बहाने करते जिससे संघ परेशान हो चुका था।

आज दैनिक भास्कर(Dainik Bhaskar) में प्रमुखता से यह खबर छपी जिसके माध्यम से हमें यह सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त हुई
 आनाकानी की वजह से आवास संघ ने करोड़ों के ब्याज के भार का एक प्रस्ताव बनाकर विधानसभा सचिवालय को भेज दिया।जारी प्रस्ताव में कहा गया कि किश्त का भार चुकाने में संघ पूर्ण रूप से असमर्थ है, लिहाजा यह भार विधानसभा वहन करे।
प्रस्ताव भेजने के बाद विधानसभा सचिवालय ने सहमति दे दी है। पर यह राशि संघ को कितने वक़्त में मिलेगी इसके बारे में अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। लेकिन वह अप्रैल से विधायकों को आवासों का पजेशन देने को तैयार है।

विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने कहा इस पूरे संबंध में बैठक हुई थी। उस बैठक में मैं उपस्थित नहीं था। आवास संघ से पत्र आएगा तो उस पर वित्तीय भार के संबंध में विचार होगा।
दैनिक भास्कर(Dainik Bhaskar)
के माध्यम से ज्ञात हुआ कि सहकारिता विभाग के आवास संघ के इस टावर में विभिन्न विभिन्न दलों के विधायक ने आवास बुक कराया है। इनमें से 78 विधायकों ने सिर्फ रजिस्ट्रेशन राशि 3.50 लाख रुपए ही जमा की। इसके बाद कोई किश्त नहीं भरी। 42 विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने समय पर किश्तें भरीं।
एक तरफ विधायक किश्त जमा नहीं कर रहे थे दूसरे तरफ संघ ने पैसा लगाकर आवास निर्माण करा दिए।  इसके चलते किस्तों का ब्याज बढ़ गया। प्रोजेक्ट में 46 करोड़ रु. आवास संघ के लगे हैं, जबकि 89 करोड़ रु. विधायकों से प्राप्त हुए। विधायकों को 25 प्रतिशत राशि पजेशन के समय अदा करना होगी।
 पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने कहा कि यह संघ की गलती है कि उन लोगों ने संघ के पैसे का इस्तेमाल करके आवास निर्माण कर दिया।  अब विधायक कहां से पैसा चुकाएंगे। इसलिए विधानसभा सभी किश्तों को चुकाएगी।
वहीं विधायक नरयावली प्रदीप लारिया ने सभी का ज़िम्मेदार संघ को ठहराया है। संघ पर दोष डालते हुए प्रदीप लारिया ने कहा कि “हमारी ज्यादा राशि लग चुकी है।अगर समय पर आवास बन जाता तो हम जीएसटी से बच जाते।अत्यधिक समय लगने से जीएसटी काफी बढ़ गई है। गलती आवास संघ की है कि समय पर काम नहीं कर पाया। इससे भार बढ़ा होगा।”

   ” इसकी वसूली भी संबंधित विधायकों से ही होना चाहिए। एक तो उन्हें प्राइम लोकेशन पर आवास बनाकर दिए जा रहे हैं, यही बड़ी सुविधा है। अब ब्याज का भार विधानसभा क्यों वहन करें। जनता का पैसा जन उपयोगी कार्यों पर खर्च होना चाहिए। “
– केएस शर्मा, पूर्व मुख्य सचिव –

    “ कायदा तो यही है कि विधायकों से राशि वसूली जाए। अगर विधानसभा भार वहन कर रही है तो बाद में विधायकों से इसकी वसूली होना चाहिए। जनता का पैसा सोच-समझकर खर्च करना चाहिए। “

– निर्मला बुच, पूर्व मुख्य सचिव –

 

 

 

 

अब सरकार जनता के मेहनत की कमाई को इस प्रकार से विधायकों के आलीशान ठाठ – बाट के लिए खर्च करेगी। यह किस प्रकार का न्याय है ? जनता के खून पसीने की कमाई से टैक्स वसूलकर सरकार विधायकों के आवास के लिए किश्त भरेगी। सचिवालय ने सहमति भी दे दी है।

आखिर कैसे प्रदेश की जनता सरकार पर भरोसा कर पाएगी ?
क्या इसी प्रकार जनता के मेहनत का सरकार दुरुपयोग करेगी?
लोगों के दिलों और आँखों में सिर्फ प्रश्न है जवाब न मिला है न मिल पाने की उम्मीद नज़र आ रही है।
देखते हैं आगे आने वाले दिनों में और क्या क्या होगा मासूम जनता के साथ।

 

 

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