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कर्ज में डूबी मध्य प्रदेश सरकार आय के नए स्त्रोत खोजने में जुटी, मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों से मांगे सुझाव

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य कि चरमराई वित्तीय व्यवस्था को सुधारने कि कवायद शुरू कर दी है। सरकार ने कलेक्टरों से जानकारी मांगी है कि आय कैसे बढाई जाए। मुख्यमंत्री 8 फ़रवरी को इस सम्बन्ध में बैठक भी लेंगे। जिसमे आय कैसे बढाई जाए, इस पर चर्चा होगी। बैठक में मुख्य सचिव समेत सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और कमिश्नर-कलेक्टर भी शामिल होंगें।

बता दें कि पहले से क़र्ज़ में डूबे प्रदेश में कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के बाद स्थितियां और भी विकट हों गई हैं। कोरोनाकरल में केंद्रीय करों में भी राज्य की हिस्सेदारी में कमी आई थी। इन सब के चलते आलम यह है कि सरकार को विकास की परियोजनाओं को पूरा करने के लिए हर महीने बाजार से कर्ज लेना पड़ा है। सूत्रों के अनुसार सरकार फ़रवरी अंत तक बजट पेश कर सकती है। उसके पहले सरकार कि पुरजोर कोशिश है कि आय बढाने के नए स्त्रोत खोजे जाएं। मुख्यमंत्री ने विभागों से अपील कि है कि वह अपने आय बढ़ाने के स्त्रोत खोजें और राज्य के बजट पर निर्भरता कम करें। इससे पहले भी मुख्यमंत्री ने मंत्रियों से अपने-अपने विभाग में राजस्व बढ़ाने के तरीकों का सुझाव देने का निर्देश दिया था।

इसके अलावा वित्त विभाग भी अन्य साधनों से आय को बढाने के विकल्पों पर काम कर रहा है। इसी कड़ी में, गैरजरूरी संपत्तियों को नीलाम करने की तैयारी की जा रही है। लंबित पड़ी वसूली के लिए भी समझौता योजना लाने पर विचार चल रहा है। कलेक्टर एवं कमिश्नर कॉन्फ्रेंस के कार्यसूची में भी राजस्व वृद्धि को शामिल किया गया है। साथ ही वर्तमान में चलाए जा रहे अभियान और कार्यक्रम को लेकर भी समीक्षा कि जाएगी।

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