भूख हड़ताल पर बैठेंगे किसान संगठनों के नेता, आंदोलन को अगले स्तर पर पहुंचाने की तैयारी
नई दिल्ली – किसान और सरकार के बीच अब भी बात मानती हुई नज़र नहीं आ रही हैं। बीते करीब 17 दिनों से किसानों का आंदोलन कल रहा हैं। किसान लगातार अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। इसी बीच किसान संबठन की ओर से इस आंदोलन को और तेज़ करने की बात कही गई हैं। किसान नेता कंवलप्रीत सिंह पन्नू का कहना है कि 'अगर सरकार बात करना चाहती है तो हम तैयार हैं, लेकिन हमारी मुख्य मांग तीनों कानूनों को रद्द करने की रहेगी। हम उसके बाद ही अपनी अन्य मांगों पर आगे बढ़ेंगे।
कंवलप्रीत सिंह पन्नू ने कहा कि रविवार को हजारों किसान राजस्थान के शाहजहांपुर से जयपुर-दिल्ली राजमार्ग के रास्ते सुबह 11 बजे अपने ट्रैक्टरों से 'दिल्ली चलो' मार्च शुरू करेंगे। शाहजहांपुर और दिल्ली-गुड़गांव सीमा के बीच दूरी करीब 94 किलोमीटर हैं। पन्नू ने कहा किसान संगठनों के नेता नये कृषि कानूनों के खिलाफ 14 दिसंबर को सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक भूख हड़ताल करेंगे।
इतना ही नहीं किसानों की तरफ से आंदोलन और तेज करने का ऐलान आज किया गया हैं। किसान नेता ने घोषणा की कि उनकी माताएं, बहनें और बेटियां भी जल्द प्रदर्शन में शामिल होंगी। किसान नेता पन्नू ने कहा कि देश के अन्य हिस्सों से भी किसान यहां आ रहे हैं और वे आने वाले दिनों में आंदोलन को अगले स्तर पर पहुंचाएंगे।
पन्नू ने आरोप लगाया कि सरकार ने आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों ने ऐसा नहीं होने दिया। उन्होंने प्रदर्शन शांतिपूर्ण रखने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा, 'सरकार ने हमें बांटकर आंदोलन को कमजोर करने का प्रयास किया। मैं कहना चाहता हूं कि जारी आंदोलन पूरी तरह 32 किसान संघों के नियंत्रण में हैं। हम विभाजित करने के सरकार के हर प्रयास को विफल कर देंगे।
बता दे कि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन करीब 17 दिनों से जारी हैं। किसानों की मांग है कि सरकार कृषि कानूनों को वापस ले। वहीं, सरकार संशोधन के लिए तैयार हैं। सरकार का साफ कहना है कि वो तीनों कानूनों को वापस नहीं लेगी। दोनों पक्ष अपने-अपने रुख पर अड़े हैं, जिसके कारण टकराव बढ़ता जा रहा हैं। सरकार की ओर से किसानों को समझाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन किसान अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।