Katni CEO की भूमिका संदेह के घेरे में: क्या इस तरह का भी हो सकता है भ्रष्टाचार, पढ़े पूरी खबर
- जिनके शह में हुआ 6 करोड़ से ज्यादा का घोटाला उनपर कोई कार्रवाई क्यों नहीं ?
- कटनी ज़िले में स्व कराधान योजना में जिला पंचायत के देखरेख में हुआ बड़ा घोटाला
- सिर्फ दो सचिवों पर हुई कार्रवाई
- जिला पंचायत सीईओ ने क्या बाकियों से कर लिया है गठजोड़
मध्यप्रदेश/कटनी सोनू कुमार – प्रदेश में पंचायतों को अच्छी कर वसूली (कराधान एवं कररोपण) पर मिलने वाली परफाॅरमेंस ग्रांट में कटनी जिले की पंचायतों में बड़ा घोटाला सामने आया है। आरोप है कि स्व काराधान राशि के बंटवारे एवं उनके क्रियान्वन में बड़ा घालमेल है। जिन पंचायतों को यह राशि नहीं मिलनी चाहिये थी जिला पंचायत सीईओ और अन्य अधिकारियों के मेहरबानी से उन पंचायतो को भी यह राशि आवंटित कर दी गयी। कमलनाथ सरकार जबसे सत्ता में आयी है पुरे जोर शोर से एक हीं बात करती आयी कि हम प्रदेश से माफिया राज ख़त्म करके रहेंगे। पर इस मामले में उनका रवैया कुछ लचर नज़र आता है। इस मामले में दो सचिवों को हटा दिया गया परन्तु जिला पंचायत सीईओ और बाकी सचिवों के ऊपर कोई भी कार्रवाई नहीं की गयी। तो माननीय मुख्यमंत्री किस तरह के माफिया की बात करते आये हैं यह तो मुख्यमंत्री महोदय हीं बता सकते हैं।
क्या है स्व काराधन योजना
इस योजना के तहत ऐसे पंचायत जो अपने क्षेत्र से कर वसूली करती हो मसलन मकान कर , पानी कर , बिजली कर आदि या तो यूँ कह सकते हैं कि जिनके पास अपने खुद के आय के स्त्रोत हैं उन्हें हीं यह राशि आवंटित की जाती है। इसके लिए राज्य सरकार ने और भी नियम बनाये हैं जैसे की सम्बंधित ग्राम पंचायत ने 100 प्रतिशत टीकाकरण पूर्ण कर लिया हो , ग्राम पंचायत 100 प्रतिशत ओ डी एफ (open defication free) हो , जो कर की वसूली हो रही हो वह घटते से बढ़ते क्रम में हो आदि। यह तो वह क्राइटेरिया है जो आमजनो को समझ में आ जाए इसके इत्र भी नियम हैं जिनको ध्यान में रखकर हीं राशि मुहैया करवाई जाती है। इस राशि का उपयोग ग्राम पंचायत अपने विभिन्न विकास कार्यों में कर सकते हैं।
तो घपला कहाँ
जब हमने परत दर परत इस मामले को कुरेदना चालु किया तब इसमें चौकाने वाले तथ्य सामने आये हैं। उपरोक्त सभी नियमो को ताक पर रखकर कटनी ज़िले के सभी 31 पंचायतों को स्व काराधन योजना के तहत 6 करोड़ से ऊपर की राशि आवंटित कर दी गयी। सभी पंचायतों को सीईओ जगदीश चंद्र गोमे के देखरेख में स्व कराधान योजना के तहत वर्ष 2017 – 2018 में राशि (परफॉरमेंस ग्रांट) प्रदान की गयी। अब या तो माननीय सीईओ महोदय को अपने ज़िले की जानकारी नहीं है या तो वह इस अतिश्योक्ति में हैं की बाकियों को उनके ज़िले के बारे में पता नहीं है। इसे ऐसे समझते हैं अगर कटनी ज़िले के सभी ग्राम पंचायत उपरोक्त नियमों पर पूर्ण रूप से खरा उतरते हैं तो कटनी जिला भारत का सबसे विकसित जिला होना चाहिए था। लेकिन ऑडिट रिपोर्ट की माने तो ऐसा नहीं है। जब विभिन्न पंचायतों से ऑडिट विभाग ने कर वसूली सम्बंधित दास्तावेज मांगे तो जवाब आया कि सारी राशियों का आदान प्रदान नकद रूप से हुई थी इसलिए उनके पास कोई दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं है। मतलब मनमाने तरीकों से राशि दी भी गयी और उन्हें खर्च भी कर दिया गया।
कैसे खुला मामला
कटनी ज़िले के विजराघवगढ़ से विधायक संजय सत्येंद्र पाठक ने इस मामले को विधान सभा के प्रश्न काल में बढ़ चढ़कर उठाया और सम्बंधित लोगों पर जांच की भी मांग की। इसके जवाब में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने माना की राशि के आवंटन और उसके खर्चे में अनिमितताएं हुई हैं। साथ हीं उन्होंने यह भी कहा कि राशियों का वितरण पूर्व सरकार के कार्यकाल में हुआ था। उन्होंने यह भी बताया कि इस माले में संलिप्त पाए जाने पर दो ग्राम सचिवों को भी हटा दिया गया है। बारहट्टा और झिरी पंचायत के सचिवों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया परन्तु उन्होंने कहीं भी उस पद का ज़िक्र नहीं किया जहाँ से संभवतः यह घोटाला चालु हुआ या कह सकते हैं जिनके देखरेख में यह पूरा घपला हुआ।
सिर्फ दो पर कार्रवाई क्यों
जिस अधिकारी के अंतर्गत यह पूरा घटनाक्रम चला सरकार ने उसी को इसकी जांच भी सौंप दी। जांच के नाम पर दो ग्राम के सचिवों को निलंबित भी कर दिया गया। अगर यह घोटाला हुआ है जो की निश्चित तौर पर हुआ है तो फिर सिर्फ दो सचिवों का निलंबन क्यों किया गया ? किसके इशारे पर यह सब हुआ? तो क्या बाकी के सचिव दूध से धुलें है या उनलोगों ने जिला पंचायत सीईओ को दूध से धो दिया है ? और सीईओ जगदीश चंद्र गोमे पर क्या कार्रवाई हुई और अगर नहीं हुई तो क्यों नहीं हुई ? सिर्फ दो सचिवों पर कार्रवाई क्यों क्या बाकी के सभी पंचायत नियमो पर खड़े उतरते थे या उनके और गोमे जी के बीच कोई सांठगांठ हो गई है ? सवाल अनेक हैं पर इसका इनके जवाब कौन देगा यह सबसे बड़ा सवाल है।
पुरे प्रदेश में फैला है यह घोटाला
माननीय संजय पाठक की माने तो यह घोटाला पुरे प्रदेश में हुआ है और लगभग 380 करोड़ का घालमेल सामने आया है। जानकारी के अनुसार रीवा ग्राम में भी इसी तरह का मामला सामने आया है। बहरहाल पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री कमलेश्वर पटेल ने आश्वासन दिया है कि सभी अफसरों एवं सचिवों पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी।