जिस पद को सरकार ने हीं कर दिया ख़त्म , कटनी सीईओ उसको भी दे रहे वेतन
- भ्रष्टाचार में संलिप्त नजर आ रहे हैं, कटनी CEO
- जिस पद को सरकार ने हीं कर दिया ख़त्म कटनी सीईओ के मेहेरबानी से उस पद पर अभी भी कायम हैं अधिकारी
Katni से राजेंद्र चौरसिया की रिपोर्ट – मध्यप्रदेश में भ्रस्टाचार और सिस्टम में बैठे लोगों का चोली दामन का साथ हो गया है। मामला है जन अभियान पारिषद का जिसे मौजूदा सरकार ने बंद कर दिया है। जिसके तत्काल बाद इससे जुड़े तमाम, अधिकारियों – कर्मचारियों को राज्य सरकार ने रिवर्ट कर दिया था। लेकिन द लोकनीति के सूत्रों के अनुसार यह ख़बर सामने आई है कि कटनी जिले में परियोजना अधिकारी जन अभियान परिषद जय नारायण शुक्ला अभी भी कार्यरत हैं। जबकि पिछली सरकार ने इन सभी अधिकारियों की वैध्यता 31 मार्च 2019 तक ही रखी थी, वर्तमान सरकार के आने के बाद इसे बंद ही कर दिया गया, फ़िर भी कटनी जिला सीईओ जगदीश चन्द्र गोमे इनसे क्या काम ले रहे हैं? इनको वेतन कौन दे रहा है? किस पद में दिया जा रहा है? ये मिली – भगत नहीं है तो क्या है? पैसा और सिस्टम में पकड़ के दम पर वहां बने रहना बिल्कुल सम्भव है, और इसीलिए द लोकनीति ने खबर की शुरुआत पैसे और पकड़ के एंगल सी की, अब आप सोचिए और सोचते रहिये, एक तरफ आपकी बेरोजगारी, और दूसरे तरफ भ्रष्टाचार का ये आलम कि नौकरी में भ्रष्टाचार नहीं बल्कि नौकरी ही भ्रष्टाचार है।
क्या था जन अभियान परिषद –
जन अभियान परिषद का पंजीयन मध्यप्रदेश सोसायटी पंजीयन अधिनियम 1973 के अन्तर्गत चार जुलाई 1997 को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के द्वारा किया गया था। जन अभियान पारिषद का उद्देश्य जन कल्याण और पर्यावरण कल्याण जैसे तमाम मोर्चों पर आम – जन को साथ लेना था।
क्यों बंद किया गया –
परिषद को बंद करने के लिए सरकार ने 2017 से 2018 तक की ऑडिट रिपोर्ट को अहम कारण बनाया है। सरकार का मानना है कि जो पैसा परिषद को दिया गया, उसका उपयोग दूसरे कार्यों में किया गया। इसके चलते परिषद अपना लक्ष्य पाने में विफल रही। वहीं, मंत्रिमंडल समिति ने तर्क दिया है कि जन अभियान परिषद और एप्को (पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन) के उद्देश्य एक जैसे हैं। दोनों पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्थाएं हैं, इसलिए परिषद की आवश्यकता नहीं है। जबकि, जन अभियान परिषद पर्यावरण संरक्षण के साथ ही अन्य सामाजिक कार्य करने वाली संस्था है।
कटनी सीईओ के पास नहीं है जवाब
जब इस घटना को लेकर कटनी जिला पंचायत सीईओ से हमारे टीम ने संपर्क किया तो उन्होंने इस मामले पर चुप्पी साध ली यहाँ तक की टाइम न होने का बहाना बनाकर उन्होंने हमारा कॉल भी काट दिया। इससे क्या साबित होता है यह मैं आप पर छोड़ देता हुँ।