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क्या शिवसेना के बाद जदयू छोड़ सकती है भाजपा का दामन ?

 

  • पत्रकारों द्वारा महाराष्ट्र की राजनीतिक पर सवाल पूछे जाने पर बिहार के मुख्यमंत्री का जवाब  
  • हम लोगों को उससे क्या मतलब है?
  • जब कोई सरकार नहीं बना रहा तो क्या करें?

पटना :बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार से पत्रकारों ने महाराष्ट्र की राजनीतिक घटनाक्रम पर राष्ट्रपति शासन लगाए जाने पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि हम लोगों को उससे क्या मतलब है? पटना में जवाहर लाल नेहरू की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद नीतीश ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने पर कहा कि जब कोई सरकार नहीं बना रहा तो क्या करें? साथ ही  उन्होंने कहा कि जो तीन पार्टियां हैं, उनको तय करना है| हम लोगों को इससे कोई मतलब नहीं है|  लेकिन मजे की बात तो ये है की नीतीश कुमार यह बयान देते हुए अपने चेहरे पर मुस्कान छुपा नहीं पाए | 

नीतीश कुमार के बयान से साफ है कि महाराष्ट्र की राजनीति में जदयू का कुछ लेना-देना बेशक न हो, लेकिन महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार नहीं बनने का उन्हें कोई गम भी नहीं है| इसका उदाहरण जदयू के राष्ट्रीय महासचिव के.सी. त्यागी ने तब दिया था , जब उन्होंने भाजपा से समन्वय समिति बनाने की मांग की थी| जिससे सहयोगियों के साथ बेहतर तालमेल हो सके| 

साथ ही इस विषय पर गृहमंत्री अमित शाह बोले की महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगना इसलिए जरूरी था क्योंकि जदयू को लगता है कि केंद्र में भाजपा को बहुमत मिलने के बाद वह अपने सहयोगियों को तवज्जो नहीं दे रही है| क्योंकि बिहार लोकसभा चुनाव में 40 में से 39 सीटें जीतने के बाद भी भाजपा ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में जदयू की अनुपातिक प्रतिनिधित्व की मांग को ठुकरा दिया था | 

नितीश बाबू के इस बयान से ये अंदाजा लगाया जा सकता है की उनको महाराष्ट्र में भाजपा का शिवसेना से गठबंधन टूटने का ग़म तो बिलकुल भी नहीं है, बल्कि इस बयान से वो भाजपा को आगाह करते हुए दिखाई रहें हैं| अब यह देखना दिलचस्प होगा की बिहार की आगामी विधानसभा चुनाव में नितीश भाजपा के साथ दिखेंगे या फिर सुशासन बाबू ऐन मौके पर डबल इंजिन का सरकार को सिंगल इंजिन में तब्दील कर लेंगे |   
 

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