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जबलपुर में कोरोना के अजब गजब किस्से, 45 दिन में 10 बार टेस्टिंग, हर बार पॉजिटिव आई रिपोर्ट

 

  • – कोरोना के अजब-गजब मामलों से खौंफ में जबलपुरवासी।
  • – बिना टेस्ट के डिस्चार्ज किए जा रहे मरीज।

मयंक तिवारी/जबलपुर-जबलपुर में कोरोना का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।  रोजाना पॉजिटिव केसों की शतक लगा रहे इस शहर में रोंगटे खड़े कर देने वाले मामले सामने आ रहे हैं। कुछ संक्रमित मरीज इलाज के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर पहुंच गए लेकिन डेढ़ महीने बाद उनकी रिपोर्ट बार-बार पॉजिटिव आ रही हैं। डॉक्टर और प्रशासन नए मरीजों में व्यस्त हैं वहीं इस महामारी के प्रति स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी लोगों में खौफ पैदा कर रही है। संक्रमित मरीज डिस्चार्ज होकर घर पहुंच जाए, यह बात थोड़ा सुकून देने वाली तो है लेकिन जबलपुर में ऐसे मरीज सामने आ रहे हैं जिन्हें अस्पलात से डिस्चार्ज हुए महीने भर से ज्यादा समय हो चुका है लेकिन उनकी रिपोर्ट बार-बार पॉजिटिव आ रही हैं।  डॉक्टरों को कहना है कि आईसीएमआर की गाइडलाइन में तय है  कि बिना किसी लक्षण वाले मरीजों को बिना टेेस्टिंग के डिस्चार्ज किया जा सकता है। सीएमएचओ डॉ. रत्नेश कुररिया का कहना है कि किसी मरीज के उपचार के दौरान उसकी मॉनिटरिंग की जाती है और लक्षण सामान्य होने ेके बाद दोबारा जांच का काई प्रावधान नहीं है। ऐसा उन्होंने आईसीएमआर की गाइडलाइन का हवाला देते हुए कहा।

  • 80 फीसदी केस ऐसे ही

कोरोना के मरीजों का उपचार कर रहे एक डॉक्टर ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि शहर में बड़ी संख्या में ऐसे मरीज मिल रहे हैं जिनके कोई लक्षण नजर नहीं आते लेकिन रिपोर्ट पॉजिटिव निकल रही है। डॉक्टर के अनुसार तो यह आंकड़ा अस्सी फीसद है।

  • निजी लैब की रिपोर्ट संदिग्ध

निजी लैबों की कोरोना जांच के परिणामों को लेकर अब सवाल उठ रहे हैं। जिला कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने निजि लैबों को क्रॉस चैक के लिए सैंपल देने के निर्देश दिए हैं। शहर की बसंल पैथोलॉजी, एसआरएल, और पाथकांइड सैंपल टेस्ट के काम कर रही हैं। इन लैबों में 35 सैंपलों में 17 और 11 में से 10 के परिणाम पॉजिटिव बताए जाने के बाद 5-5 सैंपल मांगे गए लेकिन बसंल पैथोलॉजी ने 5 सैंपल उपलब्ध नहीं कराए।
मरीज के ठीक हो जाने के बाद उसकी रिपोर्ट निगेटिव आ जाए जरूरी नहीं है। एक महिला की 45 दिन में 10 बार जांच हुई और हर बार रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। आईसीएमआर की गाइडलाइन के अनुसार रिपीट टेस्ट का प्रावधान नहीं है। बार-बार पॉजिटिव रिपोर्ट आने का संबंध वायरल लोड पर भी निर्भर करता है।
डॉ.रत्नेश कुररिया, सीएमएचओ, जबलपुर

  • केस-1

दो महीने पहले संक्रमित हो चुकीं जरीना खान (परिवर्तित नाम) ठीक होने के बाद अपने घर पहुंच चुकी हैं लेकिन उनकी रिपोर्ट निगेटिव नहीं आ रही। जरीना ने 45 दिन में 10 बार अपना सैंपल जांच के लिए भेजा और हर बार रिपोर्ट पॉजिटिव ही आई। इस बारे में जिम्मेदारों को भी जानकारी है पर वे भी पूरे मामले में अपने आपको बचाते दिख रहे हैं।

  • केस-2

फहीम अंसारी ने बताया कि 17 जुलाई को वह पॉजिटिव निकला।  फिर 19 से 28 जुलाई के बीच अस्पताल में भर्ती रहा। जहां उसे न तो कोई लक्षण नजर आए न ही कोई तकलीफ हुर्ई। बिना किसी जांच के डिस्चार्ज होने के बाद फहीम ने सरकारी अस्पताल विक्टोरियो में ट्रू नॉट मशीन से जांच कराई और वह पॉजिटिव रही। दूसरे दिन सैंपल आईसीएमआर सेंटर भेजा गया जहां से उसे पॉजिटिव ही बताया गया। 13 अगस्त के बाद से वह होम क्वारंटाइन है।

  • केस-3 

कोरोना की चपेट में आ चुके एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि  पहली बार जब उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई तब से लेकर आज तक वह रोज अपने शरीर के तापमान की जांच तथा पल्स ऑक्सो मीटर से ऑक्सीजन का स्तर माप रहे हैं जो सामान्य आ रहा है। लेकिन तीन बार  जांच कराने के बाद भी उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव ही आ रही है।

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