अर्थव्यवस्था को दोहरा झटका : महंगाई बढ़ी, उत्पादन घटा
* इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में 0.3% की दर से गिरावट
* खुदरा महंगाई दर 7.59% पर पहुंची
इकॉनमी के दृष्टिकोण से बीते दिन बुधवार को दो बुरी ख़बरें सामने आई हैं। एक तरफ खाने-पीने की चीजे महंगी हुई हैं तो वही दूसरी और इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (Industrial Production) में गिरावट आई है। एनएसओ (N.S.O) के आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी में खुदरा महंगाई दर 7.59% रही। यह अब तक की 6 साल में सबसे अधिक दर है। जनवरी लगातार छठा महीना रहा, जब खुदरा महंगाई दरों का बढ़ना जारी रहा। इसका कारण खाने-पीने की चीजों का महंगा होना और ईंधन की कीमतों में बढ़ोत्तरी रही है।
वहीं अगर हम बात करें औद्योगिक उत्पादन(Industrial Production) की, उसमे 0.3% की गिरावट दर्ज की गयी है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में हुई घटना इसकी बड़ी वजह रही है। दिसंबर 2018 में यह दर 2.5% रही थी। हालाँकि, इस साल अगस्त, सितम्बर और अक्टूबर में लगातार गिरावट दर्ज होने के बाद नवंबर 2019 में बढ़कर 1.8% हुई थी। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के कुल 23 उद्योगों में से 16 की ग्रोथ नेगेटिव चल रही है।
प्रमुख खाद्य वस्तुएं जिनकी कीमतों में तेज़ी से इज़ाफ़ा हुआ
* अंडे – 50.19
* दालें – 16.71
* मसाले – 8.25%
* मीट/मछली – 10.50%
* अनाज – 5.25
* सब्जियां – 50.19%
कितना खतरनाक है महंगाई बढ़ना और उत्पादन घटना?
2019 में खर्च , आय के मुकाबले ज्यादा बढ़ा था। जाहिर है की प्रति व्यक्ति खपत घटेगी , तो आगे और उत्पादन गिरने की आशंका है।
खर्च घटेगा : आय बढ़ने की दर 9 साल में सबसे नीचे आई है। जिससे की खर्च की क्षमता घटी, जोकि महंगाई के होने से और घटेगी।
कीमतें बढ़ेंगी : प्रोडक्शन ग्रोथ गिरने से कंपनी पर दबाव आता है, वेतन काम होता है। जिससे की कीमतें और बढ़ जाती है
बचत घटेगी : जाहिर है की महंगाई बढ़ने से ज्यादा खर्चा होगा और परिणामस्वरूप बचत घट जाएगी। दो दशकों का ट्रेंड रहा है, कि महंगाई बढ़ने से बचत पर असर रहा है।
राजस्व घटेगा : इकॉनमी निर्भर करती है कंपनी के मुनाफे या घाटे पर और सरकार का राजस्व भी इकॉनमी एवं कंपनी के ऊपर निर्भर रहता है। सरकारी योजनाओं पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा।
रोज़गार रुकेगा : कुल रोज़गार में 16% मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में है। उत्पादन रुकने से इस सेक्टर मेइओन नई नौकरियां पैदा होने की संभावना काम होगी।
घरेलु सिलेंडर 144.50 रु हुआ महंगा।