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कोरोना युद्ध मे ज़िला प्रशासन, चिकित्सा विभाग पूरी तरह फेल : सामुदायिक संक्रमण की चपेट शुरू

कोरोना युद्ध मे ज़िला प्रशासन, चिकित्सा विभाग पूरी तरह फेल : सामुदायिक संक्रमण की चपेट शुरू

डॉ रघु शर्मा को ही संभालना होगा मोर्चा

  अजमेर से भारती चनपुरिया की रिपोर्ट : – अजमेर जिले का चिकित्सा विभाग पूरी तरह से फेल हो चुका है। जिला प्रशासन भी अपने हाथ खड़े करने के मूड में है। राजनीतिक दल ….तिया पंथी  के कामों में लगे हुए हैं। जनप्रतिनिधि अपनी जान बचा रहे हैं। कोरोना ने जानलेवा दौर शुरू कर दिया है। सामुदायिक संक्रमण का हमला शुरू हो चुका है। अजमेर, ब्यावर, किशनगढ़, केकड़ी और  पीसांगन सभी नगरों में 15 दिन में रोगियों की संख्या लगभग डबल होती जा रही है।😨
                 चिकित्सा विभाग के आला अधिकारी बौखलाए हुए हैं। अपनी फेल होती व्यवस्था को छुपाने में लगे हैं ।प्रमाणित आंकड़े विभाग जारी नहीं कर रहा और पत्रकारों पर आंकड़े एकत्रित करने पर कड़ी कार्रवाई किए जाने की बात कही जा रही है। बाकायदा उन पर नियंत्रण रखे जाने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। हर रोज़ जिले में 200 से अधिक लोग संक्रमित हो रहे हैं । दो-चार लोग मर भी रहे हैं ।
    चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा के कोरोना विरोधी रथ के पहिए जाम होते जा रहे हैं ।उनकी तमाम सकारात्मक कोशिशें नकारा और नाकाम होती जा रही हैं। भ्रष्ट तंत्र ने उनकी नेक नियत को बदनाम करना शुरू कर दिया है।
    अजमेर संभाग की आयुक्त आरूषी मलिक बेहद संवेदनशील और सक्रिय नज़र आ रही हैं। पिछले संभागीय आयुक्त की तरह एयर कंडीशंड ऑफिस में बैठकर फाइलें नहीं निपटा रहीं बल्कि जिला कलेक्टर से कहीं ज्यादा बेहतर दिशा में सक्रिय नज़र आ रही हैं ।उनका इस तरह सक्रिय होना यद्यपि सुखद संकेत है लेकिन उनके फैसले भी कोरोना को रोकने की दिशा में एक कदम नहीं चल पा रहे ।
    जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने पिछले दिनों कोरोना वार्ड का दौरा कर कहा कि हर बेड पर ऑक्सीजन सुविधा उपलब्ध होगी और दूसरे ही दिन एक मरीज़ की मौत ऑक्सीजन के अभाव में हो गई। सिलेंडर बीच में ही खत्म हो गया।
    अजमेर जिले के प्रभारी मंत्री लालचंद कटारिया ने अभी मोर्चा संभाला ही नहीं है ।उन्होंने इतने विकराल समय में भी अपने जिला अधिकारियों की नकेल नहीं कसी है ।सामुदायिक संक्रमण से गुज़र रहे जिले को अब तो क्रमबद्ध लॉकडाउन लगाकर सुरक्षित किए जाने की ज़रूरत महसूस की जा रही है।
   डॉ रघु शर्मा जो अजमेर जिले के प्रतिनिधि मंत्री हैं राजस्थान के लिए सोचने में लगे हैं और उनका खुद का जिला अपेक्षित और खतरे में नज़र आ रहा है ।उनका अजमेर आ कर स्थानीय प्रशासन को चाक चौबन्ध  करना अब बेहद जरूरी हो गया है ।लालचंद कटारिया की कटार कोरोना को रोक नहीं पाएगी। रघु शर्मा ने यदि अति शीघ्र अतिरिक्त जिम्मेदारी महसूस नहीं की तो उनकी छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा अजमेर का चिकित्सा विभाग जिला प्रशासन के ताबे नहीं आ रहा उसके लिए रघु शर्मा जी को ही सक्रिय होने पड़ेगा।  जिला कलेक्टर पुरोहित के आदेशों की खुले आम अवहेलना हो रही है।
     इधर कई मेडिकल स्टोर और दवा स्टॉकिस्ट दवाइयों की कालाबाजारी में लगे हुए हैं । ड्रग डिपार्टमेंट क्या कर रहा है यह सब जानते हैं ।इस क्षेत्र में लूट मची हुई है। नक़ली दवाईयों का कारोबार दिन दुगना रात चौगुना फैल रहा है। इसकी निगरानी कोई नहीं कर रहा।🙄
  कुछ दिन सारे कामों के साथ अजमेर पर भी केंद्रित हो जाएं । केकड़ी और ब्यावर में तो प्रशासन नाम की कोई चीज़ नज़र ही नहीं आ रही ।अस्पतालों के हाल इतने खराब है कि डॉक्टर्स  कोरोना को कंगना मानकर चल रहे हैं ।वार्ड नर्क बने हुए हैं ।जांचे बंद पड़ी हैं। आंकड़ों को छुपाया जा रहा है ।अजमेर जिले के हालात इस सप्ताह के अंत तक और खराब हो जाएंगे यह तय है। इधर अजमेर के विधायक भाऊ बली जी का भी सरे राह चलते चलते ज़िक्र हो जाए ।लायंस क्लब अजमेर एंड कंपनी ने पहाड़गंज की गौशाला में 557 किलो चारा उपलब्ध कराया। मुख्य अतिथि बाहुबली को बनाया गया ।
     मेरे ख्याल से जानवरों को चारा खिलाने के लिए उनसे श्रेष्ठ कोई नेता जिले में हो ही नहीं सकता। इंसानों को रोटी खिलाने वाले नेता भी हालांकि शहर में अभी जिंदा नज़र नहीं आ रहे मगर भूखे जानवरों को चारा खिलाते समय खड़े हो जाने वाले नेता भी भाऊ बली के अलावा बचे कहां हैं ।चारे के लिए भले ही भाऊ बली ने एक टका अपनी जेब से नहीं दिया हो लेकिन लोग जो चारा गोवंश को खिला रहे थे उसमें उन्होंने हाथ लगाकर पुण्य जरूर कमा लिया 
  भाऊ बली को कितना पुण्य मिला यह तो धर्मराज के खाते ही बताएंगे जब उनकी ऑडिट रिपोर्ट आएगी मगर मुझे भाऊ बली की बात में बहुत दम लगा। उन्होंने कहा कि बेजुबान पशुओं की सेवा से जो आत्म संतुष्टि मिलती है उनका कोई मोल नहीं। कितने उच्च विचार हैं उनके ।बोलने वाले जानवर वैसे तो होते नहीं मगर जो इंसानी वेश में होते भी हैं वे बड़े खतरनाक होते हैं , शहर में भाऊ बली के सामने बोलने वाले जानवर तो क्या इंसान भी नहीं होंगे। सब जानते हैं कि बोलने वाला जानवर हो या इंसान बाहुबली को पसंद नहीं आते।
  अकेला मैं ही ऐसा जानवर या इंसान हूँ जो भाऊ बली के सामने बोलने की हिम्मत जुटा लेता हूँ।     
    भाऊ बली जी !! यदि आप को मूक जानवरों को चारा खिलाने में संतुष्टि मिलती है तो कभी विधायक कोष से मिलने वाले वेतन से भी जानवरों को चारा खिलाइए। पुण्य करने की संतुष्टि प्राप्त कीजिए। यह क्या लायंस क्लब की ओर से डाले जा रहे चारे में हाथ लगाकर आपने संतुष्टि प्राप्त कर ली 

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